पहले हमारे घरों में (शायद अब भी) एक फोटो बहुत कॉमन हुआ करती थी वो यमराज वाली जिसमें पृथ्वी लोक में किये गए कुकर्मों का यमलोक में दिए जाने वाले दंडों का सचित्र वर्णन होता था।। … जैसे कोई यहाँ मृत्युलोक में बैलगाड़ी में ज्यादा वजन ले के बैल के न खींच पाने पे उसको मारता है तो यमलोक में उसके हाथ काट के उसको गाड़ी में बाँध कर ढेर सारा वजन ले यमदूत द्वारा चाबुक से मारते हुए दिखाया जाता था … जो यहाँ कसाई का काम करता है उसको वहाँ बड़का आरी से चीरते हुए दिखाया जाता था.. जो यहाँ तराजू में डंडी मारता है उसको वहाँ उल्टा करके आग के ऊपर लटकाया जाता था.. और ऐसे ही.. मने जो यहाँ जैसा कुकर्म करता है उसको यमलोक में उसी के माफ़िक़ और उससे भी अधिक भयंकर दंड दिया जाता है।… तो मैं जब भी ऐसा कोई दृश्य देखता था जो उन फोटुओं से मेल खाता था तो मैं सामने जा के उस आदमी से बोल देता था कि भैया मालुम है आपके इस काम के लिए यमराज जी ने कौन से सजा का प्रावधान किया हुआ है!?... और मैं बोल के निकल लेता।
तो क्या है कि मेरा इंजीनियर मन भी इस तरह का जब कोई दृश्य देखता है तो वो फोटू सब याद आने लगते हैं.. कि यार मशीनों पे भी कितने जुल्म होते हैं.. क्या इसके लिए कोई सज़ा-वज़ा नहीं!?..
तो क्या हुआ कि एक दिन मैं सपना देखने लगा .. कुछ इस तरह का सपना…
जितने भी ऑटोमोबाइल वेहिकल्स हैं न वो विश्वकर्मा जी के द्वार के सामने फरियाद लगा रहे हैं…
“प्रभु त्राहिमाम… त्राहिमाम.. त्राहिमाम… !!”
विश्वकर्मा जी हैरान परेशान हो गाड़ियों के हुजूम के सामने आते है और बोलते है..
“अरे शांत हो जाइये.. शांत हो जाइये… क्या समस्या है आपलोगों की वो बताइये.. !!”
वर्ल्ड ऑटोमोबाइल एसोसिएशन के अध्यक्ष ट्रक महोदय आगे आते है बोलते है..
“प्रभु! .. यमराज जी ने तो सभी प्रकार के दंड निर्धारित किये हैं मनुष्यों के ऊपर… कि जो मनुष्य जिस तरह का जुल्म करेगा, पाप करेगा उसको उसी के अनुपात में यमलोक में दंड मिलेगा… लेकिन हमलोग के ऊपर जो जुल्म होता है उसका दंड तो आपने निर्धारित किया ही नहीं… बल्कि कभी विचार किया ही नहीं… या आपने कभी ध्यान दिया ही नहीं.. हमलोगों के ऊपर भी बहुत जुल्म होता है भगवन.. बल्कि लगातार हो रहा हैं... बहुत सताया जा रहा हैं हमें.. जब मनुष्यों द्वारा दूसरों को सताये जाने पे दंड का प्रावधान हैं तो फिर हमलोगों के ऊपर होने वाले जुल्म का हिसाब-किताब क्यों नहीं? ..तो हम तमाम ऑटोमोबाइल संघ वाले चाहते कि हमारे भी ऊपर होने वाले जुल्म का हिसाब-किताब रखा जाय और उसी अनुपात में यहाँ दंड दिया जाय.. एक कानून बनाया जाय जिससे हमलोगों के ऊपर कोई जुल्म करें तो मन में ये संतोष रहेगा कि विश्वकर्मा जी आपको इस जुल्म के लिए दण्डित करेंगे।.. उन्हें दंड मिलना ही मिलना चाहिए।“
तमाम संघ सदस्य पे-पे,पी-पी, पो-पो,भ्रुम्म्-भ्रुम्म्,हड़-हड़-हड़,हुड़-हुड़-हुड़ के आवाज के साथ अपने अध्यक्ष की बात का समर्थन करते हैं “हाँ.. हाँ.. दंड मिलना चाहिए.. मिलना चाहिए।“.
विश्वकर्मा जी “ अच्छा ठीक है ठीक है.. पहले आपलोग शांत हो जाइए.. शांत हो जाइए.. अपने होरन और एक्सेलेटर को कम कीजिये और एक-एक करके अपनी समस्या रखिये!..और बुलेट महाराज आप तो पूरी तरह से बन्द ही हो जाइए।”.
सबसे पहले ट्रेक्टर महाराज आये और अपनी बात रखने लगे..
“ प्रभु .. बहुत जुल्म होता है हमरे ऊपर.. जितना हमरे डाला की केपेसिटी नहीं होती है उससे जादा वजन लोड कर देते हैं.. और न खींच पाने की स्तिथि में ये मनुष्य इतना एक्सेलेटर दबाते है कि क्या कहे.. पूरा नट-बोल्ट हिलने लगता है.. जादा लोड के कारण मेरा मुंडी ऊपरकड़ाही उठने लगता है प्रभु.. ऐसा लगने लगता है जैसे हमको फाँसी पे टाँग दिया हो.. इतने में ही न मानते हैं ससुर लोग.. दो-चार आदमी आ के हमरी मुंडी में चढ़ जाते हैं.. और फिर ले एक्सेलेटर दबाना.. पूरा झनझनाय जाते है प्रभु.. और कभी दलदल वाले जगह में फंस गए तो ससुरे हमारे टायर के नीचे ऐसे-ऐसे नुकीले पत्थर-ईंटें और लकड़ियाँ डालते हैं कि क्या कहे.. मेरा सुंदर सा MRF टायर छिलने-कटने लगता है प्रभु.. जालिम लोग इसके भी ऊपर जोर-जोर से एक्सेलेटर दबा-दबा के मेरा चक्का और जोर-जोर से घुमाते है… इतना जोर से चक्का रोनिंग कराते है कि क्या कहे प्रभु.. बहुत तकलीफ होता है प्रभु.. इनलोगों को भी कुछ इसी तरह से दंड मिलना चाहिए प्रभु।“
अब सरकारी बस का मुखिया आगे आया और बोलने लगा, “ प्रभु हमारी तो पूछिये ही मत.. लगता है कि हमलोगों का जन्म केवल दंगों और हड़तालों में केवल तोड़ने, फोड़ने और जलाने के लिए ही होता हैं.. हमारी टायरें धूं-धूं करके एकदम से धड़ाम से फट जाती है.. ऐसे जलाते है प्रभु कि क्या बताये… उन सालों को यहाँ भी जला-जला के मारिये.. उनकी जब अपनी फटेगी न तब पता चलेगा कि टायर फटने का दर्द क्या होता है!?”.
अब 100 CC वालों का सरदार स्प्लेंडर आया और अपना दुखड़ा सुनाने लगा, “अब हम का बताये प्रभु.. हम तो मिडिल क्लास वालों के मीडियम रेंज वाले गाड़ी हैं.. लेकिन कुछ ऐसे लौंडे होते हैं जो हमें इस तरह से तड़पाते है कि जैसे हम 200 CC वाले गाड़ी हो… अरे हम कहाँ टक्कर दे पाएंगे 200 CC वालों को .. लेकिन नहीं.. हमें भगाएंगे साले.. फुल एक्सेलेटर में भगाएंगे.. पूरा इंजीन झनझनाय जाता है प्रभु.. ऐसा लगने लगता है कि अब तब ‘गडजियोन’ पिन खुल के फेंकाय जाएगा.. इंजीनवा अइसन धीप जाता है कि क्या कहे प्रभु…. हमें 100 CC का गाड़ी समझ के कोई चलेबे नहीं करता है प्रभु.. इन्हें दंड दीजिये प्रभु .. दंड दीजिए।“
तो वहीँ 150-250 CC वालों का मुखिया पल्सर आता है अपनी व्यथा सुनाता है, “प्रभु स्प्लेंडर भाई ने तो अपनी व्यथा सुना दी.. लेकिन हम भी कम सताये हुए नहीं है.. सारहे लोग मेरा कान (एक्सेलेटर) इस तरह से मोचरते है कि क्या कहे.. जमीन पे लेटा के इस तरह से घुमाते हुए 8 और S लिखते है कि क्या कहे.. टायरवा से धुंआ फेंकने लगता है प्रभु.. एक्सेलेटर और क्लच कुछ इस तरह से ले के छोड़ते है कि मेरा मुंडी एकबैगे से उठ जाता है.. मेरी क्लच प्लेट की वाट लगा के रख देते हैं.. और अगर पीछे कोई गर्लफ्रेंड बैठ गई तो मेरी तो खैर ही नहीं.. बस उस हम टाइम आपसे यही प्रार्थना करते है कि विश्वकर्मा जी ये आदमी मुझे किसी ट्रक या वैन में जा के ठोक न दे! .. ऐसे लोगों का दंड का विधान होना चाहिए प्रभु.. होना चाहिए।“
तो अबकी बार स्कुटियों की प्रवक्ता एक्टिवा शर्माते हुए आती है और बोलती है, “हमलोगों की हालत के तो क्या कहने प्रभु! .. घर से अगर मालिक के साथ निकले तो कोई समस्या नहीं.. लेकिन जैसे मालकिन के साथ निकले तो क्या बताये.. प्लेटिना,स्प्लेंडर से ले के पल्सर और बुलेट वाले तक पीछू पड़ जाते हैं.. पी-पा-पो, ध्रुम्म-भ्रुम्म की आवाज़ों के साथ हमें छेड़ने लगते हैं.. कभी-कभी एकदम सामने आ के चिंगोटी भी काट के निकल लेते हैं.. तो कभी-कभी हमारी प्यारी सी इंडिकेटर को फोड़ डालते हैं.. बाहर निकलने में हमें बहुत डर लगता है प्रभु.. ऐसे खुले-आम छेड़खानी करने वालों को कठोर से कठोर दंड दीजिये प्रभु।“
तो अब बूढ़े हो चुके गाड़ियों के सरदार ‘राजदूत’ जी आते है और अपनी कंपकंपाती आवाज में अपनी व्यथा सुनाने लगते हैं, “हमारी तो पूछिये ही मत प्रभु.. हम जब जवान थे तो पांच-पांच गो आदमी बैठ जाता था हमारे ऊपर.. और अब बुढ़ाय गए है तो ससुर लोग ठीक से खाना भी नहीं खिलाते और और बहुत ही आलतू-फ़ालतू कार्यों में लगा देते हैं.. जरल मोबिल डाल के और पेट्रोल की जगह केरोसिन डाल के हमसे काम लिया जाता है प्रभु.. मेरे साइलेंसर से ऐसे धुँआ निकलता है जैसे हम धरती के सुईया जहाज है.. एक तो हमारे पिस्टन और सिलिंडर का पहले से ही वियर एंड टियर की लगी रहती है.. लेकिन जालिम लोग फिर भी रहम नहीं करते है और जरल मोबिल और केरोसिन डाल के मेरी और वाट लगाते रहते है… इन ससुरों की ऐसी वाट ऐसी वाट लगाइये प्रभु कि कोई भी हम जैसे बुजुर्ग गाड़ियों के ऊपर जुल्म करने से पहले हज़ार बार सोचे।“
जितनी गाड़ियां उतनी व्यथा और फ़रियाद.. ट्रक महोदय आगे आ के सबको शांत कराते है और विश्वकर्मा जी से बोलते है, “प्रभु आज तो आपका दिवस है.. प्लीज़ हमारे ऊपर भी होने वाले जुल्मों का हिसाब-किताब लिया जाय.. आखिर हैं तो हम आपकी कृति ही न.. और आपकी कृति के साथ कोई जुल्म करें तो कैसे बर्दाश्त करेंगे आप.. ब्रह्मा जी के कृति के ऊपर यमराज जी दंड तय करते है.. तो आप भी अपनी कृति के ऊपर होने वाले जुल्म, अन्याय और पाप का हिसाब-किताब क्यों न कीजियेगा प्रभु.. हम तमाम संघ वालों का आपसे यही प्रार्थना है कि हमारी फरियाद सुने और इसपे विचार करें और जल्दी ही एक दंड-संहिता का निर्माण करें।“
विश्वकर्मा जी ने सबकी बात को बड़े ध्यान और गौर के साथ सुना और उसके बाद सभी संघ वालों को संबोधित करते हुए कहने लगे..
“हमने आप सभी की बातों को बड़े ध्यान से सुना.. वाक़ई में आपकी माँगे और फरियाद जायज हैं.. आपके ऊपर मनुष्य बहुत जुल्म कर रहे हैं.. और निरन्तर कर रहे हैं.. और उसके लिए इन्हें दंड देना अनिवार्य हैं.. हम जल्द ही चित्रगुप्त और यमराज महाराज के साथ इस विषय पे चर्चा करने वाले हैं, और उसके बाद चित्रगुप्त की अध्यक्षता में एक ड्राफ्टिंग कमेटी का निर्माण करने वाले हैं, जो आपके ऊपर होने वाले जुल्मों के अनुरूप चित्रगुप्त जी अलग से दंड का विधान रखेंगे.. और आपके ऊपर होने वाले जुल्मों का मनुष्य के पाप के खाते में अतिरिक्त ऐड किया जाएगा.. और मैं आप सबों को आश्वस्त करता हूँ कि ये काम बहुत जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा.. अब आपलोग जाइए.. आपके ऊपर होने वाले एक-एक पाप का यहाँ बराबर हिसाब लिया जाएगा।“
इतने में ही हमारी नींद खुल जाती है.. और मैं बस यही सोचने बैठ जाता हूँ कि गाड़ियों के ऊपर होने वाले जुल्म के ऊपर चित्रगुप्त महाराज की ‘ड्राफ्टिंग कमेटी’ किस-किस तरह के सज़ा का प्रावधान कर रहे होंगे।
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मिस्त्री गंगवा
खोपोली वाला। :)