मोर करेजा के टुकड़ा
स्वीट हार्ट कोलेसरी,
💘💘
“लिख रहा हूँ खत खून से स्याही का मत समझना,
बौराया हूँ सिर्फ तुमरे पियार में जमाने का मत समझना।“
बहुते मुश्किल से ई पेन आर कॉपी उठाये है तुमको लेटर लिखने के लिए। जिया धकधकाय रहा है, हथवा हड़बडाय रहा है, हैण्डराइटिंग ठीक से बैठ रहा नहीं रहा है, पहली बार जो लिख रहे है न, तो तनी माफ़ कर देना गोल-गोल लिखाय नहीं रहा है, मकिन हमर जज़्बात एकदम गोल-गोल आर ठोस है।
पहले तोर गाँवा के परसा गजरवा धारी खाली संझिया बेरा घरी मिलना हमरा एकदम से झनझनाय देता था.. लेकिन सिर्फ एक टेम ही मिल पाते थे, उ भी डरे-डरे आर जादा टेम खातिर नाय, मन नहीं भर पाता था, फिर हम सगर घरी तोरे याद में एकदम पगलेट जइसन घुरले चलते थे.. सगर घण्टी बस तोरे से बतियाने का मन करता रहता था.. तब हम बस तोर से बात करे के खातिर कारीपानी से हड़बड़ाहा सैकला ले के बत्तीस दिन लगातार कोयला ढोये थे और कोयला डीपू में कोयला बेचे के दू गो इंटेक्स का एंड्राइड वाला मोबाइल खरीदे थे, एक ठो तुमको दिए थे और एगो हम खुद रखे थे.. और तब से हम तुमसे पेट भर के बतियाते थे, फेसबुक वाट्सअप में डूबल रहते थे.. लेकिन का कहे पिछले तीन दिन से साला ई जो लैनिया कटा है सो अईबे नहीं किया है.. मोबाइलवा नरसुवे राती तुमसे जो लभ जू कहने के बाद जो बन्द हुआ है सो अब तक भी मरा हुआ है.. जिया एकदम बसतल लकड़ी जइसन धुंवाय रहा है.. पेट के भात नहीं पच रहा है.. लग रहा है कि डीभीसी का प्लांट जाय आर साला उसका प्लांटवे बम से उड़ाय दे.. साला हमनी के कोयला-धोयला आर हमनिए के बिजली नाय!!.. रे कोलेसरी हमर-तोर प्यार के दुश्मन खाली तोर भईवा आर बप्पे नाय हो मकिन ई डीभीसी वाला सब भी हथुन। .. मोबाइलवा चर्जरवा में ठूस के रखले है कि कखनो लैन आय और जरिको सा भी चारज हो जाय और तुमसे तनी गुटरगूँ कर ले।। से खातिर आज हम लेटर लिखने बैठ गए.. और ई लेटर हम आपन दूफेड़ी महुआ गछे चढ़ के लिख रहे है. इसे तुम अपने दिल का महुआ गाछ समझना।
“तोरे प्यार में रे कोलेसरी
कभी फुसरो तो कभी ईसरी
कभी बालूशाही तो कभी मिसरी
कभी कदम,महुआ तो कभी पचरी।“
अब जब हम लेटर लिखिए रहे है तो हम पहिलका भेंट का जिक्र करेंगे जब तुम हमरा दिल चोराय के जोभी खेत में गाड़ दी थी।.. हमर मोसियाइत ददा के बिहा में जब तुम भौजी का लोकदिन बन के बरमाला के स्टेज पे आई थी.. तोरा देखते ही ‘दिला मोरा हुबुक-डुबुक करे न रे, दिला हुबुक-डुबुक करे न’ करने लगा था।.. ललका टॉप और करिका जीन्स में तुम एकदम ‘भेलवा’ जइसन लग रही थी।.. गाल एकदम अइसन जैसे ऐरसा रोटी, आईख के लपकी-झपकी अइसन कि जैसे बस-पहरी के बोन, दाँत अइसन कि जैसे तेतेर के पात आर चमको हलो अइसन कि जैसे पोठी माछ.. होंठ अइसन जैसे सुगा के ठोर, नाक अइसन तीख जइसन पारसनाथ के चोटी, बाल अइसन करिया जइसन कारीपानी के कोयला, बोली तोर अइसन जैसे विविध-भारती से टरेनिंग ले के लौटी हो.. चाल अइसन जैसे बहियार खेत में लहलहाती धानों का हवाओं के साथ मचलना। कुल मिलाय के करिश्मा कपूर से भी जादे लग रही थी… देख के तो हम आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो गए थे.. दू डिब्बा स्प्रे हम तो केवल तुमरे ऊपर छुस-छुसाय दिए थे… “मोर दिला के केर लेले चोरी गे” के गाने ऊपर हम साढ़े पचहत्तर बार एकदम से घोलट-घोलट के डांस किये थे, क्योंकि छिहत्तरवें बार में तुमरा भाई आ के लड़ाई कर दिया था।
तुमको याद है रे कोलेसरी जब हम तुमसे पहली बार बोले थे “हेल्लो मैडम.. हू आर यू!” .. तो तुमने क्या बोला था ?
“छोड़ा ई सैंडिल्या देखो ही रे, कपारे अइसन मारबो ने कि सीधा गोदिया तक चेल जीतो”.
क़सम से उ सैंडिल्या वाला बात कपार के गोदी में तो नहीं घुसा लेकिन हमर दिल में अइसन घुसा जैसे नेटी मछरी कादो में दनदनाइल घुस जाती है।.. तखने हम बूढ़ा माँझी से प्रार्थना किये थे कि “हे बूढ़ा माँझी.. यदि कोलेसरी हमसे प्यार से बात करने लगी न तो हम तोरा के लाल बंगवा मुर्गा काटेंगे”. .. और बूढ़ा माँझी ने हमारी बात सुनी जब घूरा-फिरी के टाइम भौजी के कहने तुम हमको बोली थी “हाय रामेसर, कैसे हो?” .. क़सम से क्या बताये क्या ख़ुशी मिली थी हमको, सौभाग्य से उ दिन शनिवारे था, दौड़ते हुए घर आये थे और ललका मुर्गवा को दौड़ा-दौड़ा के पकड़े थे और बूढ़ा माँझी के यहाँ काट के आये थे। .. लगले हाथ द्वेरसिनी मैया से भी प्रार्थना कर दिए थे कि “हे द्वेरसिनी मैया जदि कोलेसरी हमसे प्यार करने लगी न तो तोहरे द्वार में हम भेड़ा काटेंगे”. .. और हमरी प्रार्थना द्वेरसिनी मैया ने भी सुन ली जब हम चौथे मिलन में ही तुमसे प्यार का इज़हार किए थे और तुमने एकदम ऐश्वर्या राय टेप में शरमाते हुए एक्सेप्ट किया था।.. उ हमर जिनगी के सबसे बेस्ट पल था रे कोलेसरी।
कोलेसरी आज हम एक बात बताते है जो कि हम तुमसे छुपाये है.. मालुम है उस दिन जब तुम हमको फोन करके बुलाई थी मिलने अपने छत के ऊपर.. हम गए थे.. हम दीवार में लगे ईंट के जेन से लटक-लटक के ऊपर चढ़ ही रहे थे कि तबे पता नहीं तुमरा बप्पा कहाँ से आ टपका, हमरा चेहरा तो नहीं देख पाये थे बाकी उजरका शर्टवा से देख लिए कि कोई छत पे चढ़ रहा है.. हल्ला करके आपन पोसलहा कटवा कुकुर को मेरे पीछे दौड़ा दिए थे.. मैं आधे दीवार से ही नीचे कूद गया था, मेरा गोड़वा मोमड़ाय गया था, किसी तरह उठे और जो भागे थे कि क्या बताये.. अरे उ कुकरा तो हमको अटाये लेता लेकिन हम भी हाई इस्कूल में दौड़े में फस्ट प्राइज जीते है, कुकरा को तो कहीं सटने नहीं दिए थे, कुकरा तो गाँव के सीमा के बाहर नहीं आया लेकिन हाय रे मेरी किस्मत, मैं दौड़ते हुए पीछे मुड़-मुड़ के देख रहा था कि कोई आ तो नहीं रहा, एतने में ही एगो गढ़ा में हम हड़ास से तुबाय गए, गोड़वा के सुपलिया एकदम से घूर गया.. माय क़सम हम हुवे गोड़ पकेड़ बैठे रहे आधा घण्टा, फिर कोनो नियर लेंगेले-लेंगेले घर आये थे.. काकू के दोकना से अमिता बच्चन वाला मूव क्रीम लाये थे और पूरा घस-घस के लगाए थे, लेकिन साला कोनो आराम नहीं मिला था.. फिर गाँवा के एक वैध से सोटवाये थे चार बोतल महुआ दे के।.. माय क़सम तोर बप्पा कोनो अमरिस पूरी से कम नाय हो।
और एक बात बताते है… जब तुम मेट्रिक का परीक्षा दे रही थी न तब हम तुमको दुसरका मंजिलवा में पाइप पकड़-पकड़ के चढ़ते थे और चुटका पहुँचाते थे.. एक बेर साला पुलिस वाला सब आ गया, हम पहिलका मंजिलवा के खिड़किया तक चढ़े थे.. हमका ऐकबगै पुलिस देख के तो अकबकी छुट गया.. हम वहँ से छलाँग मार के कूदे और दौड़ने लगे.. पुलिस वाला बड़का मोटा रूल ले के ओहे कुकरे के माफ़िक़ हमरे पीछू दौड़ा था.. बोला रुक..रुक… लेकिन हम कहाँ रुकने वाले थे.. साला उ पुलिस वाला आपन रूल अइसन झबेद के मारा था कि पूरा का पूरा रूल मेरा पिछवनिया में आ के सट गया था.. माय क़सम का बताये .. पूरा उथेल गया था.. घर आय के आपने हाथ से कोनो नियर कड़ुआ तेल आर छेछल प्याज़ को गरम कर-कर के सेंके थे। और फिर दूसरे दिन तुमरे चुटका पहुँचाने खातिर हाज़िर थे।
माय क़सम जब हम अपना मोबाइल में देखे कि तुमरा 85 परसेंट आया है तो मारे ख़ुशी के पगलाय गए थे.. घर के बीटा से महुआ निकाल के बेचे थे और पुरे गाँव में पेड़ा बाँटे थे और सभिन दोस्त सब के बियर पिलाये थे।
अबकी बार इंटर में तनिक मन लगा के पढ़ो नहीं तो खैर हम हइये है शक्तिमान जइसन चुटका पहुँचावे में माहिर, मकिन 80 परसेंट से कम नहीं लाना है।
अहे बतिया में हम तोरा के सतीश दास के एक गाना समर्पित करते है..
“एते सुंदर मुखड़ा देखाय हे झक्कास,
तोरे संगे करबो बिहा देखो हियो आस,
कोलेसरी कहिया करबी गे~~ तोय इंटर पास।“
बाकी हम रजरप्पा के काली मैया के यहाँ जोड़ा-पाठा गछ दिए है तुमसे बिहा करे के खातिर.. और बूढ़ा माँझी और द्वेरसिनी मैया के जइसन ही रजरप्पा माई भी हमको निराश नहीं करेगी। .. बिहा में हम सतीश दास आर बंटी सिंह के आर्केस्ट्रा भी मंगायेंगे.. ददा-भौजी को सब बात बताय दिए है.. बाकी तुम जल्दी से इंटर पास हो जाव।
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और अब हम का बताये, यहाँ महुआ के पेड़ में FM बाजा चला के तुमको लेटर लिख रहे है, नीचे महुआ गिर गया है, अब बिछने नीचे उतर रहे है, काहे कि अहे महुआ है जो हमारा-तुम्हारा नाईट पैक और इंटरनेट का रिचार्ज करवाता है।.. बस महुआ के फूल के रस के जइसन हमनी के प्यार के मिठास बनल रहे।
लास्ट में तोर खातिर मनोज देहाती के गाना प्रस्तुत हो,
“तोय हमर दिल लागे तोय हमर जान लागे,
काली मैया ठिने कोलेसरी तोय माँगल लागे,
हमे पागल भे जिबो गे, हम तोर बिना मर जिबो गे।“
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बस अहे कामना के साथ
भेरी भेरी I 💘💘💘 You कोलेसरी
तोर बौराहा
रामेसर।
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गंगवा
खोपोली।