Saturday, April 8, 2017

||लव-जेहाद.. सचेतात्मक !!

कल के पोस्ट के बाद एक लड़की ने इनबॉक्स किया कि मैंने अभी आपका वो मुस्लिम वाला पोस्ट पढ़ी और सबके रिप्लायज भी.. और इसके बाद आपके इनबॉक्स में आई.. वैसे आपके सभी पोस्ट पढ़ती हूँ और उसके रिप्लायज भी.. लेकिन कल जब आपका पोस्ट पढ़ी तो मुझसे रहा नहीं गया और आपके इनबॉक्स तक आई।..एक बात बतानी थी आपको.. बात जरा लम्बी है, सो आप अपना नम्बर दीजिये उसी में सब बताती हूँ।
फिर मैंने उनको अपना नम्बर दिया..  और फोन पर बात हुई..  अब उन्होंने जो कुछ भी बताई मैं यहाँ रख रहा हूँ..

मैं धनबाद से हूँ.. और ये बात तब की है जब मैं SSLNT कॉलेज से इंटर कर रही थी.. मतलब साल 2007 की बात है.. कॉलेज से मेरा घर करीब 10 किलोमीटर दूर है.. पहली बार मैं इतना दूर आ-जा के पढ़ाई कर रही थी.. ऑटो-ट्रेकर के माध्यम से कॉलेज जाती थी और आती थी.. मुझे बाहरी दुनिया के बारे में कुछ भी नॉलेज नहीं था.. बस कॉलेज जाना और आना और अपने पढ़ाई-लिखाई से मतलब रखना.. मेरे पड़ोस गाँव की दो लड़कियां थी नाम अंकिता और जूही जो मेरे साथ दसवीं तक साथ पढ़ी थी और मेरे ही कॉलेज में साइंस ले के पढ़ रही थी.. वो दोनों वहीँ धनबाद में ही रहकर पढ़ाई करती थी.. मैंने परिवार की आर्थिक स्तिथि के चलते आर्ट्स चुनी थी.. खैर हमारी पढाई चल रही थी.. उन दोनों से हमारा मिलना-जुलना रोज हो ही जाता था कॉलेज में। .. अब आती हूँ मुख्य बात पे.. एक दिन अंकिता धनबाद में ही रिक्शे से कहीं जा रही थी.. उसका एक्सीडेंट हो गया.. उसके हाथ-पाँव-घुटने आदि में चोटें आई.. उसे बगल के ही एक नर्सिंग होम में ले जाया गया.. जहाँ उसका ट्रीटमेंट हुआ.. वहाँ डॉक्टर के चेले ने उसकी मरहम-पट्टी की.. नाम था उसका ‘मुन्ना’ .. बड़े ही प्यार से उसकी सेवा किया.. बड़े ही आत्मीयता से बात किया.. सलाह-मशविरा दिया.. और कुछ अन्य परेशानी न हो इसके लिए उसका नम्बर भी माँगा.. अंकिता ने अपना नम्बर दे दिया.. फिर उसकी फोन पे उससे बात होने लगी.. कुछ ही दिनों में वे एक अच्छे फ्रेंड बन गए.. अच्छा-खासा मिलना-जुलना भी होने लगा और घूमना भी... जूही जो उसके साथ रहती थी वो भी उसके साथ जाती थी.. एक दिन कॉलेज में वो मेरे डिपार्टमेंट में आई और बोली कि यार चल न मेरा एक बहुत अच्छा फ्रेंड है वो पार्टी दे रहा है.. तुम्हें भी उससे मिलकर बहुत ख़ुशी होगी.. चल न। .. ये पार्टी-वार्टी उस टाइम मैंने केवल फिल्मों में ही देखी थी.. रियल में कभी भी किसी भी तरीके के पार्टी में शरीक नहीं हुई थी.. तो मेरे मन में एक कौतुहल सा जगा.. मैंने जाने को हाँ कर दिया.. पार्टी धनबाद के एक जाने-माने रेस्टोरेंट में था.. हमलोग रेस्टोरेंट पहुँच गए लेकिन वो अभी तक आया नहीं था.. अंकिता ने फोन लगाया तो बोला कि हम जस्ट 10 मिनट में आ रहे है.. फिर करीब पंद्रह मिनट बाद वो अपने और दो दोस्तों के साथ एक चमचमाती फोर व्हीलर से वहाँ पहुँचा.. फिर हमलोग अंदर गए और पार्टी शुरू हुई.. वो जब डिश की चर्चा करते तो मुझे कुछ पल्ले ही नहीं पड़ता.. पड़ता भी कैसे, जब कभी कुछ खाई रहूँगी तभी तो पड़ता न!! .. फिर सबसे परिचय हुआ.. साथ में आये लड़कों ने अपना नाम बबलू और राजू बताया.. फिर मेरा भी परिचय लिए.. मेरे हाव-भाव से वे समझ गए कि इन्हें अभी बाहरी दुनिया के बारे में कुछ भी नॉलेज नहीं हैं.. लेकिन फिर भी वे बड़े अच्छे से बात कर रहे थे.. हँसी-मज़ाक हो रहा था.. मैं तो एकदम नई-नई.. शरमा-सकुचा के बात कर रही थी.. तो वे इस बात की भी खिंचाई कर देते.. बीच-बीच में वे अपनी अमीरी की भी बखान कर देते.. मैं उस दिन हाथ में मेहँदी लगाई थी तो बड़ी तारीफ किये सब.. अ तारीफ़ किसको अच्छा न लगे!.. अब चूँकि मैं अंकिता और जूही से थोड़ी सुंदर दिखती थी उन तीनों का ध्यान मेरे ऊपर ही बहुत ज्यादा था.. बात-बात में मेरी तारीफ और खिंचाई भी कर देते.. उनमें से जो बबलू था वो मेरे में ज़रा ज्यादा ही इंटरेस्ट ले रहा था.. खैर पार्टी खत्म हुई और हम घर जाने को हुए.. जाते वक़्त बबलू ने मेरे से मेरा कॉन्टेक्ट नम्बर माँगा.. मैंने बोल दिया कि मेरे पास कोई मोबाइल नहीं है और न घर में ही कोई मोबाइल है.. तो वो बबलू बोला कि यार कोई बात नहीं.. नहीं है तो आ जायेगी.. मैं अगले हफ्ते दिल्ली जा रहा हूँ.. तुम बोलो मोबाइल के साथ-साथ और क्या गिफ्ट चाहिए!? .. मैं बोली कि अभी इसकी कोई ज़रूरत नहीं है।.. इतना बोल के हम घर को निकल गए।

अगले दिन कॉलेज आई.. कॉलेज छुट्टी के बाद कॉलेज गेट से बाहर निकली तो देखी कि रोड के उस तरफ फोर-व्हीलर लिए बबलू खड़ा था.. मेरे को उसने वहीं से हाथ हिलाते हुए एक मुस्कान के साथ हाई किया.. मैं भी इधर से हाई की और उसके बाद ऑटो पकड़ी और घर को निकल गई.. अगले दिन फिर वो उसी जगह में खड़ा मिला और फिर उसी अदा में हाई किया.. मैं भी हाई की और निकल ली.. अगले दिन फिर वही.. और फिर वो लगातार ही रोज-रोज आने लगा छुट्टी के टाइम और रोड के उधर से ही मुझे हाई करता.. और मैं भी बस उसके हाई का ज़वाब हाई में देती और निकल जाती.. वो करीब एक महीने तक लगातार वैसे ही हाई करता रहा.. इस दौरान मैं गौर कि वो हरेक दिन बड़े टिप-टॉप में आता था.. कभी कार से तो कभी अच्छी मोटर साइकिल से। अब हमारी भी एक तरह से आदत हो गई थी कि मैं गेट के बाहर निकलूँ तो मेरा ध्यान उधर ही जाता था, देखती थी कि वो आज आया है या नहीं आया है!.. एक महीने बाद जब मैं गेट के बाहर निकली तो मेरी नज़रें उसको रोड के उस किनारे ढूंढ़ रही थी.. लेकिन आज वो वहां नहीं था.. मैं जैसे ही आगे बढ़ी तो देखा कि वो सामने खड़ा है अपने बाइक के साथ और स्माइल करते हुए मुझे हाई बोल रहा है.. मैं भी हाई की... फिर इसके बाद  वो बोला कि चलो न मैं आपको ड्राप कर देता हूँ.. मैं बोली कि सॉरी!! मैं खुद चली जाऊँगी.. आपका थैंक्स जो आपने मुझे पूछा.. वो बोला अरे आप तो बुरा मान गई.. शायद आपको मेरे में कुछ डाउट है... खैर कोई बात नहीं.. आप आराम से घर जाइए। .. मैं ऑटो पकड़ी और घर.. अगले दिन फिर वो कॉलेज के बाहर मिला.. फिर से वैसे ही स्वागत किया मेरा, लेकिन आज ले जाने के लिए नहीं पूछा.. मैं फिर अपना ऑटो पकड़ी और घर.. एक दिन अंकिता मेरे से बोली कि “यार बबलू तुम्हें बहुत लाइक करता है.. प्यार करता है वो तुमसे.. तुमसे बात करना चाहता है.. बहुत अच्छा लड़का है.. डॉक्टर है.. अच्छा-खासा कमाता है.. एक स्टेट्स है उसका.. चाहता तो ऐसी कितनी ही लड़कियां मिल जाती उसको.. लेकिन जब से वो तुमको देखा है, बस तेरा ही हो गया है.. तुम्हारे घर की स्तिथि के बारे मैं उसे सब बता चुकी हूँ.. बावजूद वो तुमको बहुत लाइक करता है.. वो मुझे बोला तो मैं तुम्हें बोल रही हूँ.. बॉयफ्रेंड बना लो यार.. बहुत अच्छा लड़का है.. जिंदगी बन जायेगी तेरी।“ .. मैं उसकी बात सुनी और बिना कुछ बोले वहाँ से निकल ली।
मेरे बड़े भैया की STD बूथ थी.. एक दिन उसी में फोन आया.. फोन बबलू ने किया था.. अंकिता ने उसको नम्बर दी थी..  उसने मेरे बारे में उन्हें बताया तो भैया ने बोला कि मैं उसका बड़ा भाई बोल रहा हूँ.. तो उसने अपनी बात रखते हुए ये बात कही कि मुझे आपकी बहन बहुत पसंद है.. और मैं उससे शादी करना चाहता हूँ।। .. भैया ने उसकी बात सुनी और बोले कि मुझे अभी अपने बहन की शादी नहीं करनी हैं.. अभी उसे पढ़ाना है.. और सुनो दुबारा इधर फोन मत करना।
फिर भी वो लगातार कॉलेज के बाहर मुझे बड़े ही डेशिंग मैनर में मुझे हाई-हेल्लो करता.. अब तो धीरे-धीरे हाल-चाल भी पूछना शुरू कर दिया था.. वो जितना पूछता था मैं बस उतना ही ज़वाब देती थी। … अब इस तरह से करीब दो महीने हो गए.. एक बार वो शनिवार को आया और बोला कि “यार तुम बस घर से कॉलेज आओ और कॉलेज से घर जाओ.. यार इसके अलावे भी बहुत कुछ है.. दुनिया बहुत बड़ी है.. उसे देखो यार.. चलो कहीं घूमने सुमने.. क्या बस केवल कॉलेज आना और जाना!!.. अगर आज कुछ प्रॉब्लम है तो कल चले.. कल तो छुट्टी है।“
मेरा पता नहीं क्या हुआ उस दिन, मैं एकदम से उखड़ गई.. मैंने सबके सामने ही उसे सुना दिया.. कि.. “देखो.. तुम होंगे अंकिता और जूही के फ्रेंड.. मैं नहीं जानती तुम्हें.. और न जानना चाहती हूँ.. और नहीं जाना तुम्हारे साथ कहीं भी.. जो तुम्हारे दोस्त हैं उसे ले के जाओ घूमने.. और आइंदा से मेरे पीछे कभी पड़ना भी मत.. बता दे रही हूँ।“ .. मैं गुस्से से बोली और वहाँ से निकल ली।
अगले दिन जब कॉलेज आई तो देखी कि वो,मुन्ना और एक लड़का गेट के बाहर खड़ा हैं.. मैं एकदम से डर गई.. कि पता नहीं मैंने कल गुस्से में क्या-क्या बोल दी, जो आज ये ग्रुप में आ गए.. ये कुछ कर न दे हमें!! .. मैं तुरंत गेट के अंदर आ गई.. अपने एक मैम के पास गई और सब बातें बताई.. फिर मैंने अपने भैया के STD बूथ का नम्बर दिया और भैया को फोन लगाने को बोली.. मैम ने भैया को फोन लगाकर बात बताई और हमें कॉलेज से ले जाने को कही। .. करीब आधे घण्टे बाद ही भैया अपने पूरे दल बल के साथ आये.. और सबसे पहले आ के तो कॉलेज प्रशासन को ही खूब झाड़े.. फिर वो मुझे गेट के बाहर लाये और चेतावनी देते हुए बोलने लगे कि “अगर आज के बाद किसी ने भी मेरी बहन को छेड़ने या आँख उठा के भी देखने की कोशिश की तो यहीं काट के रख दूँगा.. कोई भी माई का लाल अगर अपनी माँ का दूध पिया होगा तो अगली शिकायत मेरी बहन के तरफ से आ जाय.. फिर बताता हूँ।“
भैया के धमकी का तो असर हुआ.. उस दिन के बाद वहाँ वो लड़के दिखे नहीं.. लेकिन जब मेरे भैया लोगों ने छानबीन शुरू की तो पता चला वो तीनों लड़के मुसलमान थे और वो बबलू शादी-शुदा और एक बच्चे का बाप भी था। .. और मैं जब ये बात सुनी तो मेरी पैरों तले जमीन ही खिसक गई.. काटो तो खून नहीं.. जिसे मैं बबलू समझ रही थी दरअसल वो बबलू तो था ही नहीं.. बबलू नाम के पीछे वो एक मुसलमान था और वो तीनों मुसलमान थे ये बात अंकिता और जूही को भी मालूम नहीं था, क्योंकि हमारा परिचय तो एक हिन्दू के तौर पर हुआ था। मैं तो कुछ देर के लिए अचेत सी हो गई थी।। ... लेकिन इन सब के बीच एक बात सच बताऊँ तो मैं भी उसके तरफ झुकने लगी थी.. वो भले ही उस दिन कुछ और रीजन से अपने दोस्तों के साथ आया हुआ होगा लेकिन एक साथ तीन लड़कों को देख के मैं बहुत डर गई थी और मैंने मैम से भैया को फोन लगाने को बोल दी थी। .. एक बात तो थी कि अगर वो अपना परिचय कोई बबलू न बोल के अपना मुस्लिम नाम बताता तो मैं कभी भी उससे बात तक नहीं करती, क्योंकि मेरे घर में ऐसा माहौल है कि इनके प्रति बस घृणा ही घृणा... मम्मी पापा लोग इनकी करतूतें बताते रहते थे.. कुछ दुरी पे ही वासेपुर था.. वहां के भी खूब उदहारण सुनाते रहते थे। .. लेकिन यदि वो उस दिन अपने दोस्तों के साथ न आया होता तो शायद मैं उसके गिरफ्त में आ चुकी थी.. और शायद बबलू के प्यार में ऐसा पड़ती कि जैसा कि आज हमें लव-जिहाद के मामले सुनने को मिलते हैं.. उस वक़्त तो कुछ अता-पता भी नहीं था ई लव-जिहाद के बारे में .. लेकिन वो तब से ही इस मुहिम से जुड़े हुए थे/हैं।। .. खैर मैं तो एक्सीडेंटल और भगवान की कृपा से बच गई लेकिन मेरी जैसी न जाने कितनी भोली-भाली लड़कियां इसका शिकार बन चुकी हैं और अब भी बन रही हैं। .. मेरी आप बीती से अगर मेरी किसी बहन को इससे सतर्क और सम्भलने का मौका मिलता है तो इसे आप जरूर शेयर कीजियेगा।
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हमारी ऊपर की मित्र की आप बीती से इतना तो जान गए होंगे कि ये लव-जिहादी किस कार्य-पद्धति के तहत अपने काम को अंजाम देते हैं। .. किस मनोविज्ञान के तहत काम करते हैं। .. कितना समय देते हैं और कितना पेशेंस रखते है! ..  विश्वास हासिल करने के कितने तरीके अपनाते हैं! .. और इधर लड़की सोचती है कि कोई तो है जो मेरी इतनी परवाह करता है, मेरा इतना ख्याल रखता है, मेरे को इतना टाइम देता है.. दिन रात बस मेरे ही पीछे पड़ा रहता है!! .. फिर इन्हें इनका  दिल जीतकर प्यार के जाल में इस तरह से गिरफ्त करते हैं कि लड़की बस अंधी हो जाती हैं.. कुछ भी नहीं दिखाई देता इन्हें प्यार के आगे.. परिवार से  समाज से बगावत को तैयार हो जाती हैं.. और इनका अंधापन तब तक जारी रहता है जब तक कि इनका निकाह नहीं हो जाता हैं.. और जैसे ही निकाह होता है कुछ महीनों में ही ये एकदम धड़ाम से अर्श से फर्श पे आ के गिरती हैं.. और तब इनकी चीखें सुनने वाला कोई नहीं होता हैं... इसकी आवाजें, सिसकियाँ घर की चाहरदिवारी,बुरके और दिल में ही दफन हो के रह जाती हैं।

तो.. जागो, संभलो और सचेत होओ बहनों।

कुछ बॉलीवुडिया सनीमा की मारी घनघोर सेखुलर लड़कियां जो ये बोलती है कि प्यार-मुहब्बत धर्म-वर्म की दीवार नहीं देखती है तो बेटा तुम अभी नादान हो, या तेरे घर वाले नादान हैं, या तुम कुछ जादे ही पढ़-लिख गई हो.. तेरे में बॉलीवुडिया मुहब्बत का खुमार कुछ ज्यादा छा गया है.. अगर धर्म का ख्याल न रहता तो वे मुन्ना,बबलू,राजू आदि क्षद्म हिन्दू नाम से आगे नहीं आते.. और अगर तुम्हें इन्हीं नामों से इश्क़ भिड़ाना है तो एक बार इन बबलुओं की कम से कम एक ओरिजिनल पहचान पत्र ज़रूर देख ले.. इतनी गुज़ारिश तो मैं कर ही सकता हूँ।

ये जो निकाह के पहले प्यार में अंधी हो के ये जो बोलती हो न कि धर्म-वर्म सब फ़ालतू की बातें हैं,बकवास है, ढकोसला है, प्रेम ही धर्म है, इंसान की इंसानियत देखो धर्म नहीं.. वही तुम बाद में बुरका पहन के बड़े शान से इस्लाम का झंडा बुलन्द कर रही होगी और तुम्हारे बच्चे भारत को इस्लामी मुल्क बनाने के लिए, गज़वा-ए-हिन्द के लिए मस्जिद-मदरसों में खून-पसीना एक कर रहे होंगे।
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गंगवा
खोपोली से।

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