Friday, January 6, 2017

||झारखण्डी छौड़ा||

झारखंडी छौड़ा ..

झारखंडी छौड़ा सब.. सबसे पहले तो हम इनको वर्गीकृत करना चाहेंगे..

नम्बर एक – सरकारी नौकरी वाला बप्पा सब के बेटा लोग.. झारखण्ड में सरकारी कम्पनियां मसलन CCL, BCCL, BSL,DVC आदि आदि.. सामान्यतः इस वर्ग के छौड़ा सब मने बहुते जादा हाई एटिट्यूड वाले होते हैं.. ठसमठस भीड़ में भी कोई भी इन्हें ऊँगली कर के बता देगा कि इसके बाप का सरकारी नौकरी है। जूतें चप्पल से लेकर कपड़े लते गाड़ी-घोड़े और मोबाइल तक में बाप की सरकारी नौकरियत साफ़-साफ़ झलकती हैं। पान-बीड़ी,गुटखा और शराब हार्मोन सिक्रेशन के साथ ही शुरू हो जाता हैं।.. जहाँ फ़िल्मी इस्टाइल में सबसे ज्यादा लड़कियों के भगाने का रेट इनका रहता हैं वहीँ दहेज़ लेने के मामले में भी अव्वल पाये जाते हैं।

नम्बर दो – बिना सरकारी नौकरी वाले बाप के बेटे लोग .. जब तक गाँव में रहे ऊपर वर्णित सरकारी नौकरी वालों के लौंडों के पीछे लगकर जी-हुजूरी करना और पान-बीड़ी महुआ का जुगाड़ करना.. जब घर से कमाने का ज्यादा लोड आने लगे तो मुम्बई,दिल्ली,सुरत,चेन्नई,हैदराबाद आदि शहरों की ओर रुख करना.. फिर वहाँ से मेहनत-मज़दूरी कर के घर को पैसा भेजना और परिवार की गाड़ी को आगे बढ़ाना.. और जब भी गाँव आये तो इनकी ठसक,टशन और फैशन के आगे सरकारी नौकरी वालों के लौंडे पानी कम चाय पीये.. उन्हें जम के मुर्गा-दारु खिलाये और मुम्बई-दिल्ली में किये अपने बड़े-बड़े कारनामे को रवि शास्त्री की कॉमेंट्री से भी बेहतर अदा में प्रस्तुत करें.. दारु का चखना तो मुर्गे से तो कम होता ही नहीं है..  लेकिन ये ठसक जादा दिन तक नहीं चलती है.. जैसे ही मुम्बई-दिल्ली का पैसा खत्म हुआ..  फिर से सरकारी नौकरी वालों के लौंडों के पीछे पुर्ववत लग जाते हैं.. और कभी अपने पैसे से दारु पीये तो मुर्गे की जगह अब नून और धनिया से भी काम चला लेते हैं।।

लेकिन इन दोनों वर्गों के लड़कों की जो बहुत कॉमन बात होती है वो है इनका ‘फ़िल्मी कीड़ा’ … जबरदस्त पैसन होता है इनका फ़िल्मी कीड़े के प्रति.. एक्टर बनने का,डांसर बनने का, प्रोड्यूसर बनने का, कैसेट्स के कवर में अपना नाम छपवाने का और भी  डॉट..डॉट.. . मने इसका इस तरह से क्रेज है कि ऊपर लिखे किसी में भी नाम आ जाए तो अपना जीवन धन्य हुआ समझो.. और अगर लीड डांसर बन गए तो क्या कहने रे बाबा... भाई फिर उसका तो जलवा ही जलवा। .. एक बार लीड रोल में आ गया तो समझो कि गर्लफ्रेंडों की लाइन लग गई। अब इनके पीछे जो को-डांसर होते हैं उनको भी तो पूछिये ही मत, जहाँ बैठेंगे, जहाँ जायेंगे बस अपना यशोगान शुरू, कूच-कूच के बिना पूछे ही बताना शुरू कर देंगे कि मालुम है हम ‘दिलदार झारखण्डी छौड़ी’ के गनवा में डांस किये है, देखना कभी केसेट और बताना कैसा डांस किये है हम.. पूरा हिला दिए है बॉस।।

अल्बम के गानों में आपका चेहरा आना और किसी भी तरीके से नाम आना मने समझो कि आपके जीवन के रिज्यूमे में चार-चाँद लग गया.. !!
अगर आपको मैन लीड रोल डांसर में आना है और मस्त हॉट-हॉट बंगालिन लड़कियों के साथ मस्त लल्लनटॉप मज़ा लेते हुए कमर मटकाना है तो ज्यादा कुछ नहीं आप अल्बम के प्रोड्यूसर बन जाओ। उसके बाद तो सब मर्जी आपकी। ..
अब प्रोड्यूसर भी ऊपर उल्लेखित दोनों वर्गों से आते हैं.. अगर किसी लौंडे का बाप अपने सरकारी नौकरी से रिटायर हुआ तो निन्यानवे प्रतिशत चांस है कि उसका बेटा खोरठा या नागपुरी अल्बम ज़रूर निकालेगा.. और डांसर तो बनेगा ही बनेगा।
अब जो बिना नौकरी वाले होते हैं, वो मुम्बई-दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ियों में रह-रह के कमाते है और प्रत्येक सैलरी के साथ अपने डांसर/एक्टर बनने का सपना प्रबल करते जाते हैं.. और एक निश्चिन्त अमाउंट जमा होते ही झारखण्ड कूच कर जाते हैं.. फिर गायन के क्षेत्र में कुछ नाम कमा चुके लड़के-लड़कियों से संपर्क करते हैं और अपना अल्बम बनाने की कवायद में लग जाते हैं.. और बनाते भी हैं.. और फिर उसके बाद आता है मैन वाला काम, मने गाने का वीडियोकरण और अपना एक्टर/डांसर बनने चांस जिसके लिए इन्होंने इतना मेहनत किया था.. बंगाल,पुरुलिया साइड से मस्त-मस्त डांसर लड़कियां लाओ और नचाओ... लड़कियां ज्यादा नहीं पर गाने के हिसाब से पाँच से दस हजार में अवेलेबल हो जाती हैं। .. सब कुछ उन्हीं के जिम्मे होता है.. लड़कियों के ड्रेसिंग, मेकिंग-सेकिंग और वीडियो एडिटिंग तक.. लड़कियों की इस तरह से मेकिंग-शेकिंग करो कि वो एकदम केटरीना कैफ जैसी सेक्सी लगे.. झारखण्डी गानों में एक चीज बहुत कॉमन है कि पुरे गाने में सिर्फ एक ही लड़की रहेगी और लड़के ग्रुप में डांस करेंगे.. जहाँ लड़के लड़की को इंडिकेट करते हुए गाना गाते हुए नाचेंगे वहीँ लड़की अकेले में सिर्फ कमरिया लटकाती रहेगी। .. फिर लंगूर जैसा दिखने वाला प्रोड्यूसर कम हीरो बाबू एकदम बहुते ही खतरनाक तरीके से लड़की से रोमांस करेगा.. ऐसा लगता कि बेटा लूट ले-लूट ले, ई पाँच मिनट में पूरा लूट ले.. बादे और अइसन मौका न मिलेगा बेटा.. लूट ले.. सारहे आपन लँगूर जन्म तार कर ले। .. पता नहीं कैसे झेलती होंगी इन लंगूरों को लड़कियां।
कोई बड़का पैसा वाला खोरठा/नागपुरी के स्थापित कलाकार मसलन बंटी सिंह,रमन,सुप्रिया,वर्षा आदि को अपने अल्बम में नचवाने में सफल हो गया तो समझो कि वो झारखण्ड का राजकुमार हिरानी हो गया। उनका जलवा एकदम से ठसाठस।

राँची साइड जाइए तो नागपुरी गाने में नाचने वाले को-डांसर्स लड़कों की चोटियां ये पाँच-पाँच किलोमीटर तक लम्बी-लम्बी होती हैं.. चेहरा तो दिखना ही नहीं.. और जब नाचते-नाचते मुंडी लहराएंगे तो लगेगा बंगाल की खाड़ी से उठकर बादल अरब सागर में जा के गिर रही है और उधर के बादल इधर बंगाल की खाड़ी में।

अब किसी तरह अल्बम बन के तैयार हो गई तो हो गई.. मार्केट में लांच भी हो गई.. जिसने-जिसने भी इस अल्बम में काम किया बस उसके घर के अलावा एक-आध जगह सुनने को मिल जाए तो मिल जाए... अगर अल्बम का कोई सदस्य किसी शादी ब्याह में भूल से भी अपना गाना बजता सुन ले तो वहीँ ख़ुशी-ख़ुशी के मारे लोट-पोट के नागिन-नागिन होने लगे।... लेकिन जब अल्बम के बिजनेस मने कमाई के बारे में मिस्टर प्रोड्यूसर महोदय से पूछो न तो बड़े ही गर्व और दार्शनिक आवाज में बोलेंगे कि यार हमने कमाने के उद्देश्य से अल्बम थोड़े बनाया था, हमने तो अपनी भाषा को उठाने के लिए, एक अलग पहचान और मुकाम देने के लिए बनाया था.. इसे बचाने के लिए बनाया था.. बिजनेस में क्या रखा है.. हम तो अपनी भाषा को जिन्दा रखना चाहते हैं बस.. यही हमारा उद्देश्य था।

पता नहीं भाषा को कितना जिन्दा रख रहे हैं ये लंगुरें लेकिन भाषा की माँ-बहन जरूर कर रहे हैं।

एक और बड़ी कॉमन बात है अल्बम में .. कि अल्बम में सब तरीके के गाने होते हैं.. रोमांटिक, कॉमेडी, डांस, विरह और सामाजिक सन्देश भी। .. लेकिन गाने का कोई भी प्रकार क्यों न हो लड़की एकदम टिप-टॉप होना चाहिए। मेकिंग-शैपिंग में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा जाता है... कुछेक गानों के देख के तो हँस-हँस के मेरा पेट दर्द करने लगता है और लगता है कि टीवी में घुस के साले निर्देशक की कनपट्टी में आठ-दस चप्पल हुमच-हुमच के मार दे..

एक गाना देख रहा था.. गाना सामाजिक सन्देश पे था.. गाने का सार ये था कि लड़की का बाप बहुत गरीब होता है.. घर में खाने को कुछ नहीं रहता है.. हड़िया बर्तन सब खाली.. सब ठन-ठन.. और ऐसी स्तिथि में लड़की की शादी का उम्र निकला जाता है.. अब जिनके घर में खाने तक को लाले पड़े हो वो अपनी बेटी को कैसे ब्याहे? .. बेटी उसी का रोना रोती है और गा-गा के अपने बाप को सुनाती है कि बप्पा मेरा अभी तक ब्याह क्यों नहीं हुआ, बल बाप गो बाप तोर जमाय भेलो नाय। .. अब इतनी गरीबी और ऊपर से बेटी की शादी और बेटी भी ऐसी कि जिसका उम्र निकला जा रहा हो.. अब इस गाने को शूट करना है.. लेकिन जब मैं वीडियो देख रहा हूँ और गाने के बोल सुन रहा हूँ तो मुझे इतनी ज़ोर-ज़ोर से हंसी आ रही कि मत पूछो.. बाप का मेकअप तो ठीक-ठाक था लेकिन बेटी का?! .. ये भारी-भरकम चेहरे पे मेकअप, पोडर-सोडर,लिपस्टिक, आई ब्रो, हेयर स्टाइल, नेकलेस,बालियां साड़ी और उ भी एकदम जबर वाली.. मने एकदम करीने से देखा जाय तो वो किसी भी एंगेल से वह किसी गरीब की लड़की बिल्कुल भी जान नहीं पड़ती थी.. अब जो भी है लड़की गीत गा रही है, अब उसी के शब्दों को पकड़ के उसी को मैं गरिया रहा हूँ कि भाग्यवान अगर तुम इतना कुछ न पहनती, एक गरीब की बेटी की तरह रहती न तो तेरा बाप तेरा ब्याह कब का कर दिया रहता.. लेकिन तेरे हेरोइन जैसे मेकअप-शेकअप ने तेरा ब्याह न होने दिया.. अगर तू अब भी अपना ब्याह होने देना चाहती है तो ये सब छोड़ दे एक साल में ही तेरा ब्याह हो जाएगा।

मने की इस सिचुएशन में भी लड़की का ग्लेमर्स कम होना बिल्कुल भी नहीं माँगता.. लड़की जब तक टिप-टॉप न दिखे तब तक गाने में उसका एक्टिंग मनाही है चाहे गाने का मूल-भाव कुछ भी हो।
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अब का कीजियेगा अपना झारखण्ड है ही ऐसा.. अभी जब मैं लिख रहा हूँ तो केतना रमेसरा आर परमेसरा लोग मुम्बई-दिल्ली की झुग्गियों में बैठ के अपने अल्बम के पैसे जुटा रहे होंगे और कुछ डांस स्टेप्स सीख रहे होंगे..केतना अल्बम का रेकॉर्डिंग् हो रहा होगा, केतना लँगूर लोग अंगूर का मज़ा ले रहे होंगे… केतना हेरोइन लोग आपन हजरिया लिपस्टिक,पौडर और काजर को अपनी आंसुओं से धो रही होगी और अपने बाप की गरीबी पे रो रही होगी।

हाय रे झारखण्डी छौड़ेन कर फ़िल्मी कर कीड़ा। 
झारखण्ड हिलाय देली रे।  😊😊

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गंगवा
खोपोली से

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