Sunday, July 17, 2016

||अंग्रेजी||

:::- अंग्रेजी -:::
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गाँव के प्राथमिक विद्यालय से 5वीं तक की पढ़ाई करने के बाद नावाडीह में उस टाइम के सबसे फेमस प्राइवेट स्कूल बिनोद बिहारी स्मारक उच्च विद्यालय में 6वीं में नामांकन करवाया. मेरा बड़ा भाई उसी स्कूल में 10वीं में पढ़ाई कर रहा था. दरअसल उन्हीं ने मेरा एडमिशन उस स्कूल में करवाया था. मैं गाँव के स्कूल में प्रथम आता था. मेरा बड़ा भाई मेरे को समझाया करता था कि "भाई यहाँ गाँव के स्कूल में फर्स्ट आने से कुछ नहीं होगा, तेरा तो असल पढ़ाई का कम्पटीशन तो नावाडीह में होगा वो भी बिनोद बिहारी स्कूल में जहाँ नावाडीह प्रखंड के तमाम गाँव से लड़के पढ़ने आते हैं और ख़ास करके बनिया घर के लड़कों से कम्पीट करना जो खाली अंग्रेजी में किटिर-पिटिर करते रहते हैं. अगर वहाँ तू फर्स्ट आया तब मानेंगे कि तू फर्स्ट आया है"..
खैर एडमिशन तो हो गया वहां पे और पढ़ाई भी शुरू. और सब तो सही था, लेकिन भैया अंग्रेजी ?? उससे तो मेरा जस्ट पाला पड़ा था. गाँव के स्कूल में 4 महीना पहले ही अंग्रेजी के अल्फाबेट्स सीखे थे और नावाडीह में एडमिशन कराते-कराते K से क, KH-ख, G से ग, GH-घ…. आदि आदि सब ही सीखा था. हिजे मार-मार के थोडा बहुत अंग्रेजी पढ़ लेता था.
उस स्कूल में एडमिशन के बाद पढाई के मामले में सभी सब्जेक्ट्स के मास्टर के नज़र में आ गया सिवाय अंग्रेजी को छोड़ के. अंग्रेजी का नाम सुन के ही मेरे को पसीने आने लगते थे. अंग्रेजी की जब भी पीरियड आने को रहती मैं पीछे जा के बैठ जाता. वो अंग्रेजी का मास्टर आता और सबसे एक एक करके उठा के रीडिंग मरवाता. बनिया घर के लड़के तो एकदम फर्राटेदार और स्पीड से अंग्रेजी को पढ़ते थे. मास्टर उन सबकी बहुत तारीफ़ करता था. लेकिन हम जैसे सरकारी स्कूल से गए लड़के हिजे मार-मार के टूटी-फूटी अंग्रेजी पढ़ा करते थे. मैं अब तक भाग्यशाली था कि मेरा नम्बर अभी तक नहीं आया था रीडिंग करने को. लेकिन मन ही मन सोचता रहता था कि मैं मास्टर जी को कैसे फर्राटेदार अंग्रेजी पढ़ के सुनाऊँ.  एक दिन मेरे मगज़ में एक आईडिया आया.  मैं भैया के पास गया और बोला- दादा, अंग्रेजी का ये जो चैप्टर हैं न उसको आप हिंदी में लिख दो. उन्होनें पूछा-क्यों ? तो हमने कहा कि हम मिलान करेंगे कि हम कितना शुद्ध अंग्रेजी पढ़ते हैं… तो भैया ने बोला कि – तो फिर मेरे सामने ही पढ़ो, मैं तुम्हें बताऊंगा कि तुम कितना सही पढ़ते हो…
मैं बोला – वो तो आपसे सीख ही लेंगे और ट्यूशन वाला मास्टर भी कुछ दिन में सीखा देगा, लेकिन अभी हमको स्कूल के मास्टर को इम्प्रेस करना हैं, प्लीज़ दादा लिख दो न.
भैया ने लिख दिया… एक उदाहरण आपलोग भी देख लो.. जैसे..
ONCE, on the bank of a river, a monkey made a home for
himself in a tree laden with fruit. He lived in it happily eating….
अब इसको हिंदी में लिख दिए कुछ इस तरह से…
वन्स, ऑन द बैंक ऑफ़ ए रीवर, ए मंकी मेड ए होम फॉर
हीमसेल्फ़ इन ए ट्री लैडन विथ फ्रूट. ही लिव्ड इन इट हैप्पीली ईटिंग……
अगले दिन स्कूल गया, चैप्टर के साथ हिंदी लिखा हुआ पन्ना भी संलग्न कर दिया. अब हमारी उस दिन किस्मत अच्छी… मेरा नम्बर आ गया रीडिंग करने को. मैं उठा और एकदम बुलेट ट्रैन की स्पीड से रीडिंग लगाना शुरू कर दिया…” वन्स, ऑन द बैंक ऑफ़ ए रीवर, ए मंकी मेड ए होम फॉर
हीमसेल्फ़ इन ए ट्री लैडन विथ फ्रूट. ही लिव्ड इन इट हैप्पीली ईटिंग…….. “.
पढ़ना शुरू किया कि सभी लड़के और लड़कियों का ध्यान मेरी तरफ़. 10-12 लाइन पढ़ा ही था कि मास्टर जी ने हमें रोक दिया. अरे रुको-रुको बेटा… बस-बस आपका अभी हो गया रीडिंग… बहुत अच्छा… वेरी गुड…. नाम क्या हैं तुम्हारा बेटा ?
मैं – सर, गंगा महतो.
मास्टर जी – कौन सी स्कूल से पढ़ के आये हो आप ?
मैं – सर, प्राथमिक विद्यालय मंझलीटांड़.
मास्टर जी – अरे वाह.. वहाँ पे इंग्लिश कौन पढ़ाता हैं ?
मैं – सर, वहीँ के सर लोग पढ़ाते थे.
मास्टर जी – बहुत बढ़िया… अरे बेटा उधर पीछे क्यों बैठा करता हैं… कल से आगे बैठा करना.
भैया मेरी ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं था.. मैं तो एकदम से आसमान में ही उड़ने लगा. मेरा आईडिया सफल रहा. लड़के-लड़कियों और मास्टर जी के मध्य इम्प्रेसन जमाने में मैं सफ़ल रहा. घर आ के भैया को बताया, भैया भी बहुत ख़ुश. रात को भैया से नेक्स्ट चैप्टर का भी हिंदी लिखवा लिया. और अगले दिन फिर से स्कूल में धड़ाधड़ रीडिंग दे डाली. उसके अगले दिन फिर से नेक्स्ट चैप्टर का हिंदी लिखवा के ले गया. लेकिन ये क्या घर से लगल महतो के साथ निकला ही था कि गिरगिट ने हमारा रास्ता काट दिया. मैंने लगल से बोला कि- अबे लगल आज तो कुछ गड़बड़ ज़रूर होगा. स्कूल पहुँचते-पहुँचते थोड़ा लेट हो गया. सो हमें फिर से पीछे वाली क़तार में बैठना पड़ा.
अंग्रेजी का पीरियड आया. लेकिन वो हमारा गिरगिट का रास्ता काटना लग गया अपने को. पता नहीं मास्टर जी को क्या सूझी कि जो चैप्टर हमने लिखवा के लाया था और जो आज मास्टर जी को पढ़ाना था, वो न पढ़ा के उसका नेक्स्ट चैप्टर पढ़ाने लग गए. अपनी तो भाई लंका लग गई. मैं लगा अपना मुँह छुपाने. मास्टर जी के नज़रों से बचने की भरसक कोशिश करने लगा और मैं कुछ हद तक सफल भी रहा था. तीन-चार लड़कों के रीडिंग के बाद मास्टर जी की नज़रें मुझे ढूंढ़ने लगी. जब नहीं देख पाये तो बोल ही दिए – अरे.. आज वो मंझलीटांड़ वाला बच्चा नहीं दिखाई दे रहा हैं.. क्या नाम था उस बच्चे का… हाँ गंगा महतो.. कहाँ हैं गंगा महतो ??
सभी लड़कों की नज़रें मुझे ढूंढने लगी. मैंने अपने अगल-बगल सट के बैठे लड़कों से बोला- “अबे बताना मत कि मैं इधर बैठा हुआ हूँ.. टिफ़िन(लंच) में सिंघाड़ा खिलाऊंगा तुमलोगों को”. लेकिन लगल महतो को उससे 4 दिन पहले हुई लड़ाई की खुन्नस थी. वो उठा और मास्टर जी से बोल दिया- सर.. गंगा यहाँ बैठा हुआ हैं सर.
मास्टर जी – हाँ गंगा बेटा.. चलो अभी आप रीडिंग दो.
मैं रीडिंग देने के लिए ऐसे उठ रहा था जैसे कोई दो-तीन साल की समाधि लेने के बाद उठता हो. उठा और रीडिंग देने लगा. जैसे ही रीडिंग देना शुरू किया सभी लड़कों और मास्टर जी का ध्यान मेरी ओर केंद्रित हो गया. मेरी रीडिंग की स्पीड बुलेट ट्रेन से सीधा बैलगाड़ी पे आ गई. अटक-अटक के, रुक-रुक के, हिजे कर-कर के अपन रीडिंग दे रहे थे… कुछ इस तरह…. मान लीजिये मुझे इसकी रीडिंग देनी थी ..
One day, the crocodile stayed with the monkey longer than
usual. His wife was annoyed waiting and waiting managing
the little crocodiles that had just been hatched.
मैं कुछ यूँ पढ़ रहा था- “ वन दाय, द क्रो..क्रोको..क्रोकोडिले… S..T..Ayed.. स्टायेड.. विथ द मोंकेय लोंगेर थन उसु..उसुवाल… हिस वीफे वाज एन..एन्नो..एन्नोएड..  ;)
सब लड़के-लड़कियां ठहाके मार-मार के मज़े ले रहे थे. मास्टर जी ने मेरी ऐसी बजाई.. ऐसी बजाई कि बता नहीं सकते कि कैसी बजाई. कुछ इसतरह से बजाई कि मेरा अगले दिन से स्कूल जाना बंद और इंग्रेज़ी से हो गई बेइंतहा नफ़रत. भैया के लाख समझाने पर भी मैं उस स्कूल में दुबारा नहीं गया. एक हफ्ते बाद पप्पा जी ने मेरा एडमिशन नावाडीह में ही सरकारी मध्य विद्यालय में करवा दिया.
तब से मेरा अंग्रेजी से 36 का आँकड़ा रहा हैं. पूरी इंजीनियरिंग निकल गई, बहुतों सब्जेक्ट्स में डिस्टिंक्शन मार्क्स से पास भी हुआ लेकिन मेरी अंग्रेजी पाकिस्तान के इंजमाम-उल-हक़ से भी अच्छा :) :)
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गंगा महतो
खोपोली.

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