Sunday, July 17, 2016

देसी गाय का दूध


मेरे बप्पा याने पापा याने कि श्री शुकर महतो, अभी रिटायर जिंदगी बिता रहे हैं... सन् 2010 में CCL से  डोजर ऑपरेटर के पद से सेवा निवृत हुए हैं। कोलियरी एरिया में और वो भी फील्ड वर्क में कितना कोयला का धूल-धकड़ खाना पड़ता हैं उससे कोलियरी एरिया वाले भलीभांति परिचित होंगे.. अगर हमलोग कभी-कभार बप्पा को ड्यूटी में छोड़ने को जाते थे न तो हाल भोत बुरा हो जाता था। नाक से सी-सी करता तो बाहर काला ही काला राख बाहर आता। कभी कभी गुड़ भी खाना पड़ता था। लेकिन मेरे बप्पा क्या खाते थे और क्या पीते थे ??..
तो मेरे बप्पा हमेशा दारु (ज्यदातर महुआ वाला) में डूबे रहते थे... डूबे रहते थे क्या.. वो तो दारु में तैरते थे .. और उनका तैरना अब भी चालु हैं.. बिना दारु के एक दिन भी नहीं रह सकते। गाँव या फिर ऐसा बोलिये कि पुरे प्रखंड में शुकर महतो जैसा दरपिया दूजा और कोई नहीं होगा!
लेकिन उनका स्वास्थ्य, तंदरुस्ती और फुर्तीपन अब भी देखते बनता हैं.. वो बीमार कब हुए मेरे मन मस्तिष्क को तो याद भी नहीं हैं.. यहाँ तक कि नार्मल सर्दी ज़ुकाम भी। हल चलाने में अभी भी बप्पा के सामने  26-27 साल के लौंडे कहीं नहीं ठहरते हैं। और उसी फुर्ती से हमें भी काम करने को बोलते हैं.. जो कि हमलोगों से संभव नहीं हो पाता हैं, तो हम भाई आपस में फुसुर-फुसुर करते हैं कि ," पता नहीं गंदौरी महतो और झुनिया देवी ने क्या खा के इसे पैदा किया था ?"...

अब भोत जादा बुड्ढे हो गए हैं.. हमलोग पीने को मना करते हैं.. लेकिन मानने वाले कहाँ .. नज़र बचा के पी ही आते हैं.. और पीने के बाद बोलते हैं " अरे मैंने जब से होश संभाला हैं तब से पी रहा हूँ, और अपने अंतिम साँस तक पीता ही रहूँगा.. मेरे को कोई नहीं रोक सकता."
और कभी-कभी जब हम बीमार हो जाते हैं न तो फब्ती मारने से ज़रा सा भी नहीं चूकते हैं ," पता नहीं सारहेन आज के लड़का लोग क्या खाता पीता हैं कि हर महीने दो महीने बाद बीमार गिर जाते हैं.. अरे हमको देखो.. मेरे दारु वाले बॉडी को देखो.. कब देखा हैं हमको बीमार होते हुए रे ?"
और सही बात भी हैं.. उनका बीमार होने का रेकॉर्ड तो हमें याद करने से भी याद नहीं आता हैं।
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लेकिन इसका कारण क्या हैं ..
आज कोई आदमी शहर में 50 साल से भी ऊपर तक लगातार दारु पीते हुए जिन्दा रह सकता हैं क्या ?
इसका मुख्य कारण हैं... मेरे बप्पा एक भोत बड़े गौ भक्त आदमी हैं.. भक्त का ये मतलब नहीं कि रोज रोज उनकी पूजा करते हैं!
मतलब ये कि ये दिन रात गाय माता की सेवा सुसुर्षा में लगे रहते हैं.. कितना भी दारु क्यों न पी ले गाय गोरु के लिए किसी भी तरह गिरते लुढ़कते हरी घास का बोझा घर ले के हीआते हैं। घास दे के गाय के पास ही बैठ के घंटो गाना गाते रहते हैं वो भी फुल टोन में.. कभी-कभी तो 'मांदर' बजाते हुए गाने लगते हैं। घर से बाहर निकले तो .. घर में घुसते हुए उनके हाथ में कुछ न कुछ गाय गोरु और बकरी के लिए कोई न कोई चारा ज़रूर रहता हैं.. अपने घर में कोई बड़ी नस्ल की गाय नहीं हैं.. एकदम देसी बोले तो 'छोट-राशि' गाय। मुश्किल से ज्यादा से ज्यादा 1 से 1.5 लीटर तक दूध देती हैं।
लेकिन बप्पा कितना भी दारु क्यों न पी ले.. दूध पीना नहीं छोड़ते... फुल नशे में भी दूध पीते हैं.. दूध के प्रोडक्ट मसलन दही,फ़ैंसा,घी इत्यादि भी खूब खाते हैं। एकदम शुद्ध ... कोई मिलावट नहीं।
और यही कारण हैं उनका इस उम्र में भी फीट होना..
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क्योंकि शुद्ध देसी गाय का जो दूध होता हैं न, उसमें न  दुनिया की किसी भी नस्ल की गाय के दूध की तुलना में सबसे ज्यादा 'इम्युनिटी' क्षमता होती हैं। जो कि अमृत से कम नहीं हैं। वहीं विदेशी नस्ल की जर्सी गायों का दूध ज़हर सामान... माने A1 दूध.. बीमारियों का मुख्य  कारण!! इम्यून क्षमता को क्षरित करने वाला।।
कुरियन बाबा ने देश में 'श्वेत क्रांति' ला दिया... डेनमार्क के बाद भारत दूध उत्पादन के मामले में विश्व में दूसरे पायदान पे आ गया... !! बहुत खूब.. बधाइयां.. Congratulations.. !
लेकिन पिछले 15-20 सालों में देश में डायबिटीज और अन्य रोगोँ के रोगियों की जो बेतहाशा वृद्धि हुई हैं , और हमारा भारत इस मामले में विश्व में कौन सी पायदान पे आ के खड़ा हैं, उसे आप कौन से 'क्रांति' का नाम देंगे ???
इससे किसे फायदा हुआ और हो रहा हैं... ??
विदेशों की बहुत बड़ी-बड़ी दवाई कम्पनियों को। क्योंकि उन्हें मालुम था कि भारत की बढ़ती आबादी और वेस्ट के प्रति इंडियनों का आँख मूँद के भरोसा करना उसे एक बहुत बड़ा मार्केट दे सकता हैं.. और दे सकता हैं क्या... आलरेडी दे चुका हैं.. वो अपने बुने बीज का आज फसल काट रहे हैं। और वो साले आज खुद A2 दूध पी रहे हैं हमे A1 दूध का लॉलीपोप थमा के।
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आज कोका-कोला, पेप्सी और जर्सी का दूध भारत के हर कोने-कोने और घर में जगह बना चूका हैं.. और आज हर घर से नई बीमारियां निकल रही हैं जिसका कि 20-25 साल पहले कोई नामोनिशान भी नहीं था।..
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और पियो बे जर्सी गाय का दूध और पेप्सी-कोला ..
तुम्हारे ही भरोसे तो.. पूरी अमेरिका और वेस्ट की इकोनॉमी रन हो रही हैं।
जियो इंडियंस .. एन्जॉय योर लाइवस्...
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लेकिन अब हम पाकिट का दूध कभू नही पिएंगे।
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श्री श्री गंगा महतो
खोपोली

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