:::- स्मार्ट वैल्यू -:::
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2005 में दसवीं पास करके गाँव से निकलकर हजारीबाग गया इंटर की पढ़ाई करने. हजारीबाग को आप सेमी-सिटी कह सकते हैं. गाँव से पहली बार बाहर निकला था और शहर को पढ़ने-लिखने, देखने, समझने व जीने की कोशिश कर रहा था. हमारे गाँव और अगल-बगल के गाँव से बाहर गए लड़कों का गाँव में गज़ब का मान-सम्मान होता था और वो लड़के भी अपना भोकाल टाइट किये हुए घूमते थे.. अरे हम हजारीबाग में पढ़ते हैं.. हम राँची में पढ़ते हैं… हम धनबाद में पढ़ते हैं.. गाँव के गणमान्य लोगों के साथ उन सब का उठना बैठना होता था. .. तो हम भी सोचते थे यार कब हम मैट्रिक पास होंगे और कहीं बाहर पढ़ने जाएंगे, अपने भी पप्पा की नौकरी हैं… और जब पास हुए तो भैया हमनें भी हजारीबाग में एड्मिसन करवा लिया… और एक महीना होते-होते उन लड़कों के संगत का असर होने लगा… लेकिन मुझे 4-5 महीनों से ज्यादा प्रभावित नहीं कर सका. मुझे ठेठपना ही अच्छा लगता था. ..हजारीबाग के कोर्रा चौक में अनंत लॉज में मैं एक रूम में अकेला रहता था. कुछ दिनों बाद धनबाद का एक लड़का जिसका नाम मनोज था मेरे रूम में शिफ्ट हुआ शेरिंग बेस पे. वो लड़का अजीब ही टशन में रहता था. उसके साजो-सामान से मेरा पाला पहली बार पड़ रहा था. तमाम तरह के क्रीम,डियो,फेसवाश, मोश्चराइजर,शैम्पू,बूट पॉलिश,बिफोर सेव,आफ्टर सेव… और भी पता नहीं क्या-क्या था उसके पास. हमेशा फॉर्मल कपड़े और जूते पहनता था. कुछ ज्यादा ही बिज़ी रहता. कभी-कभी उसके जैसे ही आत्मविश्वास और तेज़ से ओत-प्रोत लड़के आते थे बजाज पल्सर से उससे भेंट करने… शुरू-शुरू में मैं खाली देखता रहा, लेकिन धीरे-धीरे जिज्ञासा हुई जानने की. अब तक उस लड़के से केवल नार्मल बात होती थी पढ़ाई-लिखाई से रिलेटेड ही.
एक दिन मैं पूछ बैठा कि भाई आप तो कुछ ज्यादा ही अमीर लगते हो. पापा कोई बड़े पोस्ट में है क्या. वो बोला- नहीं भाई मेरे पापा नहीं हैं, मम्मी की नौकरी हैं लेकिन मैं घर से नाम मात्र का पैसा लेता हूँ… तो फिर भाई इतना सारा मेंटेन कैसे करते हो ?... भाई मैं एक पार्ट टाइम काम करता हूँ, हफ्ते में सिर्फ चार घंटे टाइम देता हूँ वो भी सिर्फ सन्डे को.. मैं थोड़ा आश्चर्य होते हुए पूछा- भाई वो कैसे और कितना कमा लेते हो महीना में हफ्ते के सिर्फ चार घंटा दे के ?.. वो बोला – अभी तो फिलहाल 12 हज़ार कमा लेता हूँ और वो भी कम्पनी से जुड़े हुए तीन महीने हुए हैं, वो जो दो-तीन भैया लोग आते है न रुम में कभी-कभी, उनलोगों को जुड़े हुए मात्र छः महीने हुए हैं. ब्लैक पल्सर हैं न जो उनलोगों के पास अभी एक महीना पहले ही ख़रीदे हैं अपने पैसो से और मालुम हैं वो लोग अभी कितना कमा रहे हैं ?? मैं तो और आश्चर्यचकित हुए हुए आँख बड़ी कर के पूछा – कितना ??? वो बोला- 30 हज़ार से ऊपर… वो तो मैं थोडा पढ़ाई पे ध्यान दिया हूँ तो 12 पे अटका हूँ. फिर भी अभी अपने को क्या चाहिए अपना पढ़ाई लिखाई का खर्चा आराम से निकल जाता हैं. अब तो मैं घर वालों की भी थोड़ी बहुत मदद कर देता हूँ….
अब तो मेरे अंदर भी कमाने का ज़ज़्बा उफान मारने लगा. जब ये बन्दा कमा सकता हैं पढ़ते-पढ़ते, तो मैं क्यों नहीं कमा सकता? मैं भी अपने घर वालों की मदद करूँगा… अब मैं और भी उत्साहित हो उत्सुकता लिए पूछने लगा- भाई करना क्या पड़ता हैं, किस तरह का काम हैं, पैसे कितने लगते हैं ??? वो बोला- अरे भाई आराम से… अगली बार जब भैया आएंगे न तो तुमसे भेंट करवा दूँगा… मैं थोड़ा रिक्वेस्ट वाली अंदाज़ में – भाई थोड़ा जल्दी बुलाव न, जानने की तीव्र इच्छा हो रही हैं…. वो बोला – भाई इसी सन्डे को होटल skylok में सेमीनार हैं. उस दिन तेरे को ले चलेंगे. उस दिन खाली सेमिनार अटेंड करने के बाद तुम्हारे मन में जो भी सवाल उठ रहे हैं न सब क्लिअर हो जायेगा. वैसे तुम्हें जानकर हैरानी होगी कि तुम्हारे साथ के आये हुए बिनोद महतो और लाल मोहम्मद अंसारी भी पिछले हफ्ते इससे जुड़ चुके हैं ।।…. मैं तो साला वाक़ई में हैरान हो गया. साले मेरे रूम में आ के रोज़ भुंजल चना खा के जाते हैं, साथ में रोज ट्यूशन जाते हैं और हमें ही नहीं बताया?... चल साला एक हफ्ता ही सही न अब मैं भी जुड़ूंगा….. मैं बेसब्री से इंतज़ार करने लगा सन्डे का.
खैर सन्डे आया और सेमिनार में गया. भैया… सेमिनार ऐसा हुआ ऐसा हुआ कि पूछो मत. अगर आपलोग भी ऐसे किसी नेटवर्किंग कम्पनी का सेमिनार अटेंड किये होंगे तो आपको पता होगा. पूरा दिमाग घूम गया. सेमिनार ने निकलते ही अगले एक साल में मेरे घर के आगे कार गाड़ी खड़ी नज़र आने लगी. मैं रूम पहुँचा, फ्रेश हुआ, बस पकड़ा हुआ और सीधा घर रवाना. पापा को बहुत मान-मनोवल और रुष के 7500 रुपया लिया ये कहके कि मैं आपको 3 महीने के बाद पैसे नहीं माँगूंगा. और वैसे भी पापा ये पैसे कहीं नहीं जाने वाले हैं, वो लोग इसी पैसे से कंप्यूटर भी सिखाने वाले हैं जो कि मार्केट में करने से हमें इससे 5 गुना ज्यादा पैसा लगेगा. 6500 रुपया के तो वो लोग सिर्फ कंप्यूटर की किताबें और CD कैसेट्स देने वाले हैं… पापा ने ये कह के पैसा दे दिया कि चल तू उदास न हो , अगर पैसा डूब भी गया तो समझेंगे कि जुआ में हार गए. लेकिन बेटा बाहर पढ़ाई करने गए हो तो पढ़ाई पे ध्यान ज़रूर देना…. मैं झूमते हुए पैसा ले के गया और स्मार्ट वैल्यू वाले भैया जी को दे दिया और अपना रेजीस्ट्रेशन करवा लिया. अगले हफ्ते उसी होटेल में सेमिनार हुआ और हमलोगों की ट्रेनिंग भी. ग्रूमिंग क्लास भी हुई. क्लास में बता रहे थे – हमारी कम्पनी पैसों का सागर हैं, अब आप पे डिपेंड करता हैं कि आप किसमें से पैसा भर के ले जाते हैं, आप गिलास से ले जाइए, मग से जाइए, बाल्टी से ले जाइए, ड्रम से ले जाइए,.. सागर को कुछ फ़र्क़ पड़ने वाला नहीं हैं. मालूम हैं हमारी कम्पनी का ब्रांड अम्बेसडर कौन है.. मिथुन चक्रवर्ती.. अब ऐसे-ऐसे लोग जुड़े हुए हैं हमारी कम्पनी से तो आपको लगता हैं कि कम्पनी कहीं जाने वाली हैं.. बस आपलोग मेहनत कीजिये. हमारी कम्पनी सिर्फ पैसा कमाने का जरिया नहीं हैं, ये कंप्यूटर एजुकेशन भी देती हैं और इंडिया के कंप्यूटर लिटरेसी को बढ़ाने का काम भी कर रही हैं. अगर किसी को लगता हैं कि पहले कंप्यूटर की पढ़ाई करें, तो कोई रोक टोक नहीं हैं. जब आपको पैसा कमाने का मन करें आप बिज़नेस लाइन में आ सकते हैं, आप एक साल बाद आओ, दो साल बाद आओ.. कंपनी कहीं नहीं जाने वाली… अरे अभी तो हमनें हजारीबाग में प्रवेश किया हैं अभी तो इस शहर में हमें धमाका करना बाकी हैं. मालुम है जापान में दो बम गिरे थे और पूरा दो शहर बर्बाद हो गया था.. अरे आपलोग तो यहाँ आठ-आठ एटम बम हो सोचो हज़ारीबाग़ का क्या हाल हो सकता हैं ? ….. भैया अब तो हमारे शरीर के अंदर के युरेनियम में नुक्लेअर फिज़न शुरू हो गया. अब तो हजारीबाग को तबाह कर के ही दम लेंगे. ऐसी ट्रेनिंग मिली कि अगर कोई कुछ हमारी कम्पनी के बारे में कुछ उल्टा-सुल्टा बोले तो उसको वहीँ पे उल्टा-सुलटा कर दे. पहली बार किसी आदमी से किस तरह से बात की शुरुआत कैसे करनी हैं उसको कैसे कन्वेंस करना हैं ?? सब सिखाया गया. इतना जोश भरा गया कि अब बस बाहर के फूटना ही शेष था. हमेशा फॉर्मल कपड़े पहन के घूमने लगा.
हमलोगों को टारगेट मिलता था कि हफ्ते के अंत में किसी तरह दो-तीन लड़के सेमिनार तक ले के आना हैं. उसके बाद का काम उनलोगो का हैं. ढाई-तीन महीने तक तो खूब जोश-खरोश के साथ काम किया. कोई कुछ उल्टा-पुल्टा बोलता तो उसको वहीं पे धर के रख देते. एक बार सभी जुड़े हुए लड़कों को धनबाद बुलाया गया, कोई बहुत बड़ी मीटिंग थी, पुरे झारखण्ड की टीम जुटने वाली थी. धनबाद के कला भवन में सेमिनार था. वहाँ ऐसी भीड़ देखी कि पूछिये मत. सीनियर्स ऐसी-ऐसी अपनी सक्सेस स्टोरी सुना रहे थे कि आँखों में आंसू आ गए. उनके बाप लोग स्टेज पे चढ़ के अपने लड़कों को रो-रो के गले मिल रहे थे और कम्पनी का जम के गुणगान कर रहे थे. मौजूद लोग तालियों की गड़गड़ाहट से उनसब का उत्साहवर्धन करते. मेरे बगल वाले भैया बोले- गंगा तुम्हारा ड्रीम अगले सेमिनार में वहाँ पे होना हैं अपने पापा के साथ. अब तो मैं अपने को पापा के साथ ट्रॉफी पकड़े लोगों की तालियों के बीच खड़ा देख रहा था. रात को डिनर में मुर्गा,मछली,पनीर जिसको जो भी खाना हैं जम के खिलाये. मन ही मन सोच रहा था यार सिर्फ 7500 रूपया में इतना सब पैसा कैसे खर्च कर सकते हैं. ज़रूर कोई बात हैं. कम्पनी सही में बहुत बड़ी हैं,गरीबों का भला करने वाली.
हजारीबाग वापस आ के खूब जोर-शोर में काम में लग गया, आँखों में छः महीने में रेड कलर की बजाज पल्सर 150 और एक साल में मारुती स्विफ्ट का सपना लिए. दो-ढाई महीने तो खूब जोश में रहा,सपनों से बाहर निकल ही नहीं रहा था. लेकिन धीरे-धीरे मुझे खटकने लगी…. जहाँ ये लोग हफ्ते में 4 घंटे टाइम देने की बात कर रहे थे वो अब हमें रोज के 6 घंटे से ज्यादा टाइम लेने लगे थे. कभी ट्रेनिंग के नाम पे धनबाद बुला लेते तो कभी राँची. कभी चाय की टपरी पे मिलो तो कभी किसी लड़के को समझाने उसके रूम पे. और कभी सेमिनार में लड़के पकड़ के नहीं ले गए तो डाँट-डपट भी करने लगे. ट्यूशन मेरा बहुत ज्यादा एब्सेंट होने लगा.. मास्टर लोग भी पूछते कि बेटा आजकल बहुत एब्सेंट रहने लगे हो क्या बात हैं, छूटे हुए टॉपिक मैं अकेले से आपको नहीं पढ़ा पाऊँगा….. पैसा कमाने के चक्कर में मेरी पढ़ाई की वाट लगनी शुरू हो गई और लड़कों को मान-मनोवल करना भी अच्छा नहीं लगने लगा था. एक दिन स्मार्ट वैल्यू वाले भैया जी को बोल दिया कि भैया मेरा पैसा कमाना और पढ़ाई करना एक साथ नहीं हो पायेगा. मैं इंटर के बाद इन सब चीजों में ज्यादा टाइम दे पाऊँगा. मैं अभी कंप्यूटर सीखना चाहता हूँ तो आप मुझे कंप्यूटर क्लास के लिए अलाव करें … वो बोला- ठीक है आप ज़रूर कंप्यूटर सीखो और पढ़ाई करों लेकिन यदि तुम्हारा परसेंटेज इन तीनों से कम आया न तो तुम्हारी टाँगें तोड़ देंगे और एक साल बाद देखना ये लोग कहाँ खड़े मिलेंगे और तुम अपने को कहां खड़ा पाओगे?…. मैं तो सहम गया. खैर कंप्यूटर क्लास गया. लेकिन ये क्या वो तो उसका कंप्यूटर क्लास था ही नहीं किसी दूसरे के इंस्टिट्यूट में भाड़ा दे के स्मार्ट वैल्यू के लड़कों को सिखाते थे. और सिखाते क्या थे .. घण्टा…!! कंप्यूटर सिखाई कम बिज़नेस की बातें ज्यादा होती थी और वहाँ भी लड़कों को टारगेट दिया जाता था कि सन्डे को लड़के पकड़ के लाना हैं. एक दिन उस स्मार्ट वैल्यू कम्पनी का कोई बहुत बड़ा साहब आने वाला था तो मास्टर ने सभी से कम से कम दो लड़के पकड़ के लाने को कहा. मैं उठा और साफ़ मना कर दिया कि मैं नहीं ला सकता. मास्टर बोला- क्यों नहीं ला सकते ? मैं बोला – ऐसे ही.. मेरे से मनाने सनाने का काम नहीं होता हैं.
मास्टर- मिस्टर गंगा महतो… आपने मुर्दे की मय्यत को देखा हैं ??
मैं – हाँ देखा हैं..
मास्टर – कितने आदमी रहते हैं उसमें ?
मैं – चार जन मुर्दे को उठाये हुए और उसके पीछे 40-50 जन.
मास्टर- गंगा जी… जब मरा हुआ आदमी 40-50 आदमी जुगाड़ कर सकता हैं तो.. आप ज़िंदा आदमी हो के दो लड़के नहीं जुगाड़ कर सकते… लानत हैं आपपे…
भैया मास्टर ने तो मेरी ले ली… मेरे अंदर जो युरेनियम का न्यूक्लियर फिज़न चल रहा था एकाएक धड़ाम से स्टॉप हो गया…. अगले दिन से क्लास जाना बंद… पापा का पैसा सही में जुए में चला गया. लेकिन मेरे साथ के ज्वाइन किये लड़कों का फिज़न अभी भी चालू था. वो लोग खूब ज़ोर-शोर से लगे रहे हज़ारीबाग को नागाशाकी और हिरोशिमा बनाने में. साल भर क्या दो साल बाद तक भी न कोई बजाज पल्सर 150 दिखाई दी और न मारुती स्विफ्ट. हाँ इंटर के एग्जाम में ज़रूर भारी मार्क्स के साथ फ़ैल हुए वही मैं फर्स्ट क्लास से पास हुआ.
….. ……. ……. …….
लेकिन रुकिए… रुकिए…. कहानी अभी ख़त्म नहीं हुई हैं…..
एक दिन मैं शाम को अपने रूम की साफ़ सफाई कर रहा था. इतने में एक लड़का आया शायद कोडरमा का था मेरे बगल वाले लड़के को खोजता हुआ. वो लड़का रूम में नहीं था. मेरे को आ के पूछा कि भैया ये आपका बगल वाला लड़का कहाँ गया हैं ? मैं बोला-यार उसका तो अभी ट्यूशन रहता हैं, अभी 15-20 मिनट में आ जायेगा. आओ तब तक मेरे रूम में बैठ के इंतज़ार कर लो. वो मेरे रूम में बैठा और किताब कॉपियों पे नज़र डालने लगा. कुछ देर देखने के बाद हमसे बोला – तो भैया अभी आप सेकंड इयर में हैं ?
मैं – हाँ भाई… और आप ?
लड़का – मैं फर्स्ट इयर में हूँ भैया.. …
कुछ देर रुकने के बाद…
लड़का – भैया आपका फ्यूचर में क्या करने का विचार हैं ?
मैं – मैं तो इंजीनियरिंग के फील्ड में जाने वाला हूँ.
लड़का – भैया एक बात बताइये… आप देश के ऐसे कितने इंजीनियर का नाम जानते हैं जिसने बहुत नाम कमाया हो… बच्चा-बच्चा उसका नाम जानता हो ??
मैं उसको गौर से 2-3 मिनट देखा और बोला – आपको स्मार्ट वैल्यू से जुड़े हुए 2 महीने हो रहे हैं ??
लड़का एकदम से सकपका गया… फिर मैं बोला – भाई अगर आप अगले चार महीने में बजाज पल्सर 150 खरीद लीजियेगा तो हमें ज़रूर इन्फॉर्म कीजियेगा, मैं इसी रूम में रहूँगा.. साथ में घूमेंगे और पेट्रोल मैं भरा के दूंगा. और अगर आप इंटर पास हो गए पल्सर खरीदते-खरीदते तो मैं आपको होंडा यूनिकॉर्न ज़रूर दूंगा. :) ;)
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गंगा महतो
खोपोली.
Sunday, July 17, 2016
||स्मार्ट वैल्यू||
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bhaiya aap script bahut achha likhte ho lekin aap ko smart value ke baare me kuchh khas jankari nahi hai
ReplyDeletebhaiya aap script bahut achha likhte ho lekin aap ko smart value ke baare me kuchh khas jankari nahi hai
ReplyDeleteबिलकुल सही है भाई , इसमे जाने वाले लोगो का दिमाग इस तरह धोया जाता है की इस कंपनी में काम करने के अलावा कोई जिंदगी में कोई कुछ नही कर सकता,,,,,अगर ऐसा है तो बाहर जो लोग ईमानदारी से अच्छा पैसा कमा रहे है और जो लोग अपनी मेहनत से बड़ा काम कर रहे है तो वे सभी बेवकूफ है सब गलत है और सब लोग इसी कंपनी में लोगो से पैसा डूबा कर खुद पैसा कमाए,भारत का विकास भी ऐसी कम्पनियो से ही हो जायेगा ;-).... । गरीबो को लूटकर अमीर बनने की स्कीम . . . . . भाइयो आपने ये नही सोचा की जिस गरीब के तुमने 11,000₹ डूबा दिए उसकी जिंदगी में इसका क्या प्रभाव पड़ा होगा।
ReplyDeleteबोलोगे की आप ये कंपनी के बारे में नही जानते,इसने मेरी जिंदगी बदल दी,इतने लोग करोड़पति बन गए-!!!!!! जरा सच्चे मन से सोचो ऐसी कंपनी में एक करोड़पति बनता है तो वो 40,000 गरीब लोगो की रोजी रोटी की कमाई छिन लेता है।।। यही सच्चाई है, यही सच्चाई ईमानदारी है.
Bhai 10 Sal ki Padhai k bad ak banda 10000 ki Noukri k me layak NAHI banta tum 10 mahine me karorpati banane ki bat karte ho Abe 10 mahine me to juta silne ka bhi Kam dhang se NAHI aayga
ReplyDelete.Aur beta jo 10 pass hone par apne aap ko 30 mar Khan samjhta ho noida me aa Jana. Ak lodar ko bhi 10th pass certificate ki Jaruret hoti hai
Bhai networking ka jamanaa h
ReplyDeleteTum mat kroo but logo ke career ko kyu kharab kar rhe ho
Or sabhi krodpati nhi bante
Desire hona chahiye babhi success ho sakte ho
Jiska desire chota uske liye chota mota
Job me hi khush ho jata h
Bhai logo koi bataye ki ye smart value sasta h kya puri jankari de pls.
ReplyDeleteBhai logo koi bataye ki ye smart value sasta h kya puri jankari de pls.
ReplyDeleteस्मार्ट वैल्यु टोटल 420 है
ReplyDeletebhai sach me ye company ek bohot badi bekar hai mere saath jo hua hai na bhai me kabhi bayan nahi kar sakta
ReplyDeleteKbhi bisvas ke sath to kam kie nhi hoge fir aae ho smart value ki badmouth karne apni kahani apne pas hi rkha kro ok
ReplyDeleteYaar kament hi krna h smart value ki to achhe se kro na
ReplyDeleteSale smart value ke bare me kya Janta hai
ReplyDeleteNice smart value
ReplyDeleteNice smart value jo isme 1 saal man laga kar kaam kar denga uska life set ho jaye gaa
ReplyDeleteContact Unknown kyu h apka koi naam nhi h kya naam hi farji h company me bileve Kaise kare
DeleteBakwas hai smart valu, garib ko lutte hai
Delete9873452224 क्या है ये
ReplyDeleteMera bhi dost bol Raha hai ki tum RS-17999
ReplyDeleteFees do to computer commerce course Karne ke kiye milega .
And Uske bad tum bhi paisa earning karoge ?
Lekin me kya Karu mujhe kuchh samajh me nhi aa Raha hai Bhai log
Please Help Me 🙏
Reply Kare
Kis cheej me help kru bhai boliye e kar duga Bhai
DeleteMera bhi dost bol Raha hai ki tum RS-17999
ReplyDeleteFees do to computer commerce course Karne ke kiye milega .
And Uske bad tum bhi paisa earning karoge ?
Lekin me kya Karu mujhe kuchh samajh me nhi aa Raha hai Bhai log
Please Help Me 🙏
Reply Kare
svreality.blogspot.com पढ़ कर इनका प्लान सुने
ReplyDeleteSmartvalue is nice join this company
ReplyDeleteHai Bhai n
DeleteJhantu hai company
DeleteAap bhi join hai smart valu me
ReplyDeleteBakwas hai,garib ko luta ache din Nahi aayenge unko
ReplyDeleteकिसे के बारे में अच्छा नही बोल सकते तो बुरा भी मत बोलिये
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