|| नंदन वन ||
चलिए आज रुख करते हैं नंदन वन की तरफ़. वनों की दुनिया का एक अनोखा वन जहाँ की जीव-जंतुओं की सामरिक समरसता की मिसाल दुनिया के हरेक वन दिया करते हैं. लेकिन कुछ दिनों से वहाँ सबकुछ सही नहीं चल रहा हैं. इसीलिए हमने सोचा की चलो देख लिया जाय की क्या घटित हो रहा है वहाँ.
न्यूज़ चैनल ऑन किया… नंदन वन टी.वी. (NVTV) पे ब्रेकिंग न्यूज़ आ रही थी….. नंदन वन के झींझरी इलाके से एक ब्रेकिंग न्यूज़ आ रही हैं कि, भैसों के एक उन्मादी समूह ने शेरों के एक परिवार के ऊपर हमला किया हैं जिसमें परिवार के मुखिया बब्बन शेर समेत उनके पांच बच्चे और दो बीवीयाँ मारे गए हैं. भैसों ने निर्ममता की सारी हदें पार करते हुए बड़ी ही बेरहमी से उनका क़तल किया हैं. अभी-अभी डिस्कवरी चैनल से वहाँ की एक्सक्लूसिव तस्वीरें आ रही हैं जो हम आपको दिखा रहे हैं. लेकिन उनकी तस्वीरें हम आपको ब्लर कर के दिखा रहे हैं क्योंकि ये इतने भयावह हैं कि हम आपको दिखा नहीं सकते.
हमारे NVTV संवाददाता जीतन भालू घटना स्थल पे पहुँच चुके हैं… और कुछ ही देर में हम आपको रीटा शेरनी जो कि बब्बन शेर की पत्नी हैं उनसे उनकी बात-चीत दिखाने वाले हैं……..
कुछ देर बाद जीतन भालू रीटा शेरनी का इंटरव्यू ले रहे हैं…
जीतन भालू – रीटा जी… जो कुछ भी आपके परिवार के साथ हुआ हैं वो बहुत ही दुखद व निंदनीय हैं…. लेकिन रीटा जी हम जानना चाहते हैं कि आखिर हुआ क्या था ?? इस फसाद के पीछे वजह क्या थी ?
रीटा शेरनी – वजह का तो हमें नहीं पता जी. आज हमसब सुबह के 9 बजे रात के बचे डिनर के ज़ेबरा के पैर चूस रहे थे. तभी हमने देखा की भैंसों का क़रीब 60-70 का झुण्ड हमारे घर के बाहर जमा होने लगे. हमने तो पहले सोचा कि ये सब नार्मल हैं. लेकिन कुछ देर बाद भैंसों ने हमारे घर की तरफ़ बढ़ना शुरू कर दिया. इतनी संख्या में भैसों को अपनी ओर आता देख हम सब हड़बड़ा गए. हमारे पति बब्बन जी उन्हें समझाने के लिए आगे बढ़े. इससे पहले कि वो कुछ बोल पाते एक भैंस ने हमारे पति के ऊपर ज़ोरदार अपने सिंग से वार किया और उन्हें हवा में उछाल दिया और हवा में ही एक दूसरे भैंसे ने भी वार किया और उनका पेट फाड़ दिया. इतने में से उनको नहीं छोड़ा…ज़मीन पे गिरते ही वहाँ मौजूद अन्य भैंसों ने उसे कुचलना शुरू कर दिया. बब्बन के मरते ही भैंसों का समूह हमारी ओर बढ़ा जिसमें हम, हमारी दो सौतन और पांच बच्चे थे. हम बच्चों को लेकर वहाँ से भागने लगे. बीच-बीच में भैंसों का हम प्रतिकार भी कर रहे थे, लेकिन भैंसों की संख्या बल के सामने हम बेदम हो गए और भैंसों ने पहले हमारी दोनों सौतन को बहुत ही बेरहमी से मारा. फिर उन्होनें हमारे पाँच छोटे-छोटे मासूम बच्चों को भी नहीं बख्शा. मैं वहाँ से जैसे तैसे भागी और पेड़ पे जा चढ़ी और अपनी जान बचाई.
जीतन भालू – आपकी भैंसों से कुछ आपसी दुश्मनी थी ?
रीटा शेरनी – हमें पता नहीं जी…. मैं कल से घर के बाहर नहीं गई हूँ… बच्चों के देखभाल हेतु मैं घर पर ही थी. और बाहर क्या हुआ वो हमें नहीं मालूम…
जीतन भालू – अब आप क्या चाहती हैं ?
रीटा शेरनी – बस हम यही चाहते हैं कि जिन्होंने भी हमारे परिवार का ये हाल किया हैं उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिले.
जीतन भालू – अब चूँकि… नन्दन वन में भैंसों व उनकी सहयोगियों की सरकार हैं….तो क्या आपको लगता हैं कि आपको न्याय मिल पायेगा ?
रीटा शेरनी – पता नहीं….. लेकिन हमें नंदन वन के कानून व्यवस्था पे पूरा भरोसा हैं..
जीतन भालू – तो देखा आपने कि किस तरह से बेरहम भैंसों ने बब्बन शेर के परिवार के ऊपर हमला किया और उन्हें मार डाला. रीटा शेरनी चाहती हैं कि दोषियों को सज़ा मिले. ..बब्बन शेर और उनके परिवार की मौत की चीख और रीटा शेरनी की फरियाद नंदन वन सरकार तक पहुँचे…. कैमरामैन छोटू जिराफ़ के साथ मैं जीतन भालू NVTV,झींझरी नंदन वन.
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नंदन वन के तमाम मैन स्ट्रीम मीडिया मसलन... फॉरेस्ट नाउ, जंगल आज तक, ज़ी एनिमल, नंदन वन टुडे, आदि चैनलों पे सिर्फ और सिर्फ यही न्यूज़ बाईट चल रही थी… सब अपने-अपने तरीके से न्यूज़ चला रहे थे. ज़्यादातर चैनल वालों ने तो बब्बन शेर के घर पालथी मार के बैठ गए थे…हर पल हर सेकंड की खबर दे रहे थे. तो कोई कोई चैनल मामले की तह तक जा रहे थे. रात के प्राइम टाइम में चर्चा का विषय सिर्फ यही था कि… “ क्या मंगरु भैंसा की सरकार में अल्पसंख्यक Big Cats शेर,चीते,बाघ आदि सुरक्षित हैं ?”.
NVTV पे आ रहा था – पिछले हफ्ते भी सिंसरी इलाके में भैंसों के एक समूह ने चीते के एक परिवार के ऊपर हमला किया था और पुरे परिवार को मार डाला था…. इसी तरह दो दिन पहले ही एक तेंदुए के ऊपर जानलेवा हमला हुआ था और आज बब्बन शेर के परिवार के ऊपर…भैसों का एक संगठन कह रहा हैं कि Big Cats की संख्या बेतहाशा बढ़ रही हैं नंदन वन में जो कि नंदन वन के अस्तित्व के लिए खतरा हैं….हम जानना चाहते हैं कि… अगर शेरों चीतों की संख्या बढ़ जायेगी तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा नंदन वन में ?
जंगल-आज-तक पे आ रहा था – जब से मंगरु भैंसा की नंदन वन में सरकार बनी हैं… तब से शेरों के ऊपर लगातार हमले हो रहे हैं… और सरकार हाथ पे हाथ धरे बैठी हुई हैं…और मंगरु भैंसा जी भी की कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही हैं इन मामलों के सम्बन्ध में. आखिर कब तक थमेंगे ऐसे हमले शेरों व अन्य अल्पसंख्यक जानवरों के ऊपर ?
Forest now पे आ रहा था – the whole Nandan Wan wants to know that why the some fascist group of Buffalo brutally killed Babban lion,his wives and his innocent cubs ? Who is responsible for this ? join me on prime time fwitter hashtag #jhinjhariattack.
ज़ी-एनिमल पे आ रहा था – दर्शकों आज झींझरी में हुई बब्बन शेर के परिवार के ऊपर हुए हमले और उसके पहले भी हुए हमलों का DNA टेस्ट करेंगे. झींझरी में हुए हमले और उसके पीछे का कारण बताएंगे क्योंकि उस हमले का पूरा वीडियो हमने डिस्कवरी वालों से मंगवाया हैं जो की आपको देखना और समझना बेहद ज़रूरी हैं,जो अन्य न्यूज़ चैनल वाले आपको नहीं बता रहे हैं. पूरी घटना हम आपको बता रहे हैं…
दरअसल बात शुरू हुई थी भूरा भैंसा के दो बच्चों के मरने के बाद. जैसा की आप वीडियो में देख पा रहे हैं… कि कल दोपहर 3 बजे भूरा भैंसा अपने दो बच्चे और कुछ पड़ोसियों के साथ नदी में पानी पीने आये थे. वहाँ पहले से ही बब्बन शेर और उनकी दो पत्नियां घात लगाए बैठे थे, जैसे ही भैंसों ने पानी पीना शुरू किया शेरों ने अचानक हमला बोल दिया. इस अचानक हमले से अफरा-तफरी मच गई. भैंसें लगे दौड़ने और उसके पीछे बब्बन शेर और उसकी बीवियां… शेरों की तेजी के आगे भैंस के 4 महीने के दो बच्चों की तेजी कम पड़ गई…. बब्बन शेर ने एक झटके में एक बच्चे की गर्दन की नली दबा दी. और दो शेरनियां दूसरे बच्चे की ओर झपट्टा मारी, शेरनी के एक पंजे के वार से बच्चा लड़खड़ाता हुआ नदी में जा गिरा,फिर शेरनियां वहां से उसको खीच के बाहर निकालने का प्रयास करने लगी. इतने में ही नदी में मौजूद मंगरमच्छ ने भी बच्चे पे हमला बोल दिया. और फिर दोनों पक्षों में ज़बरदस्त छीना-झपटी होने लगी. लेकिन इस छीना-झपटी में मंगरमच्छ ने बाजी मार ली और शेरनियां निराश वहां से लौटी…….. फिर रात भर भैंसों ने मीटिंग की कि आगे क्या किया जाय ? और सुबह 9 बजे तड़के भैंसों ने एक गुट बनाकर बब्बन शेर के घर के ऊपर हमला कर दिया जैसा की अन्य चैनल वाले बता रहे हैं…. यहाँ हम भैंसों के इस कृत्य की प्रशंसा नहीं कर रहे हैं. भैसों ने जो कुछ भी किया बिलकुल ग़लत किया. हमारे नंदन वन की एक कानून व्यवस्था हैं..अगर भैंसों के साथ कुछ बुरा हुआ था तो नज़दीकी थाने में FIR करवानी थी. कानून को अपने पैर में नहीं लेना था.
हमारे साथ इस वक़्त ‘भैंस बचाओ समिति’ के प्रवक्ता मोती साँढ़ जी जुड़ चुके हैं. आइये उनसे जानते हैं… क्या कहना हैं उनका इस घटना के बारे में..
ज़ी-एनिमल – मोती साँढ़ जी हम जानना चाहते हैं कि क्या वो भैंसों का झुंड जो बब्बन परिवार को मारने के दोषी है.. आपके ग्रुप से संबंध रखते हैं क्या ? और दूसरी बात ये कि आप ये पूरी घटना के बारे में क्या सोचते हैं ?
मोती साँढ़ – देखिये मैं आपको बता दू कि इस हमले के पीछे हमारे संगठन का कोई पैर नहीं हैं. लेकिन जिस संगठन ने भी ये काम किया हैं काबिले तारीफ़ किया हैं. आखिर कब तक हम इनके अत्याचारों को सहे.
ज़ी-एनिमल – लेकिन मोती साँढ़ जी… कानून व्यवस्था नाम की भी चीज हैं नंदन वन में ?
मोती साँढ़ – अरे कौन सी कानून व्यवस्था की बात कर रहे है आप ? आप बताये की नंदन वन की किस क़ानून की किताब में लिखा हैं कि शेर भैस के मासूम बच्चों का भक्षण करें. शेरों के आहार के लिए मानक तय किये गए हैं हमारी क़ानून-व्यवस्था में लेकिन क्या वो शेर उन मानकों को मान रहे हैं. खुले आम वो उनकी धज्जियां उड़ा रहे हैं..आप उनसे क्यों नहीं पूछते ? आज कोई शेर मरा हैं तो पूरा मीडिया और सियासी हलक़ा उसे कॉवेरेज् दे रहा हैं…आप लोग उस वक़्त कहाँ चले जाते हो जब शेर और बाघ वगैरह अंधाधुंध हमको मारते हैं ? उस टाइम पे मीडिया अन्तःपुर में चली जाती है और तमाम सियासतदां कान में माइक्रोफोन डाल के जश्न मना रहे होते हैं. लेकिन जैसे ही कोई शेर मरता हैं हम भैंसों के पैरों से तो सब एकाएक हरक़त में आ जाते हैं. जब शेर आपस में एक-दूसरे का नली दबाते हैं तब तो कोई चर्चा नहीं करता. लेकिन जैसे ही किसी भैंसे ने किसी शेर को मारा पूरा बखेड़ा खड़ा कर देते हो,वो भी एकपक्षीय. अगर हमारे बच्चों के ऊपर इस तरह से हमले होते रहे तो हम भी क़ानून को ताक में रखकर वही करेंगे जो आज झींझरी में हुआ हैं.
ज़ी-एनिमल – अंत में क्या कहेंगे आप ? क्योंकि अब ब्रेक पे जाना हैं..
मोती साँढ़ - हम जुगाली भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो पूरा खा जाते हैं तो चर्चा नहीं होती |
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नंदन वन के सियासी गलियारों में ये अब हॉट चर्चा का विषय बना हुआ था. हर कोई राजनीतिक दांव पेंच खेल रहा था. ज्यादातर राजनीतिक पार्टियां शेरों के पक्ष में थे…वन के बुद्धिजीवी वर्ग सियार,लोमड़ी,कौवा आदि भी शेरों के पक्ष में थे. रंगानाथ सियार ने बताया कि – रात को fwitter पे 7 महीने का एक भैंस का बच्चा मुझे धमकी दे रहा था कि.. अबे रंगानाथ सियार सुधर जा…शेरों की फेंकी हुई हड्डियां चूसने वाला..तेरी वही हालत करेंगे जो हमने बब्बन के साथ किया हैं …. अब वो सात महीने का भैंस का बच्चा मुझे बताएगा कि मैं किसकी फेंकी हुई हड्डियां चूसता हूँ. इस तरह का इंटोलेरेंस नहीं चलेगा…हम शेरों के ऊपर हुई इस हमले का पूरी तरह से मज़्ज़म्मत करते हैं. और हम अकेले नहीं कर रहे हैं. अफ्रीका के तंजानिया, केन्या,ज़िम्बाबवे आदि देश के भैंस भी लानत भेज रहे हैं…यहाँ तक कि ब्राज़ील के हिरण भी लानत भेज रहे हैं. और हमारे प्रधान मंगरु भैंसा ने अब तक एक बयान भी देना मुनासिब नहीं समझा हैं. जल्द ही उन्हें इस मामले में दखल देना चाहिए. और दखल ही नहीं …हम तो चाहते हैं कि सरकार Lion Act में बदलाव भी करें क्योंकि वो act अब अप्रसांगिक हो चुका हैं…… हम तमाम सियासी पार्टियों से अनुरोध करते हैं कि जल्द ही संसद में इस बात की चर्चा हो. और क़ानून में संशोधन हो.
खूब विरोध प्रदर्शन हुआ सरकार के खिलाफ…..
अगले दिन सरकार संसद का इमरजेंसी सत्र बुलाती हैं… सभी पार्टियां Lion Act के ऊपर बहस कर रही हैं. सभा अध्यक्ष मुनमुन हिरन ‘ ऑल नंदनवन सिंह एकता पार्टी’ के अध्यक्ष छेदन शेर को अपना पक्ष रखने को कहती हैं..
छेदन शेर- “अध्यक्षा जी… पिछले Lion Act के मुताबिक़ जिसमें शेर,बाघ,लकड़बग्घे,चीतें (Big Cat)…शामिल हैं,उसमें कहा गया हैं कि कोई भी शेर या उपरोक्त उल्लेखित जानवर किसी भी भैंस,गाय,ज़ेबरा,विल्डबीस्ट,बारहसिंगा… आदि जानवरों के बच्चों को मारकर नहीं खा सकते. खाने के लिए हम गंभीर रूप से बीमार या फिर बुढ्ढे जानवर का चयन कर सकते हैं. और अपने इलाके में किये गए शिकार को हम किसी दूसरे इलाके वालों से साझा नहीं कर सकते.”
अध्यक्षा जी अभी तक इस क़ानून से हमें कोई समस्या नहीं थी. हम जब पूरी आबादी के 0.786 % थे तब हमें खाने-पीने की कोई तक़लीफ़ नहीं थी,हम सब क़ानून के दायरे में ही अपना पेट भरते थे. लेकिन अब हमारी आबादी 4.79% हो गई हैं और हमें भरपेट खाना नहीं मिल पा रहा हैं….हमारे बच्चे 2-2,3-3 दिन तक सिर्फ हड्डियां चूस के ही काम चलाते हैं. कुपोषण के शिकार हो रहे हैं हमारे बच्चे…. मोहतरमा हम क़ानून का सम्मान करते हैं…लेकिन पेट की आग के आगे हम मज़बूर हैं…हम अध्यक्षा जी से गुजारिश करते हैं कि..इस क़ानून को संशोधित किया जाय..हमारे आबादी के मुताबिक हमें शिकार करने की और छूट दी जाय… वरना नंदन वन में क़यामत आ जायेगी.
अब अध्यक्षा जी ने ‘महिष युवा मोर्चा’ के सांसद सिंगरा भैंसा को आमंत्रित किया.
सिंगरा भैंसा – अध्यक्षा जी…ये छेदन शेर किस तरह की बात कर रहे हैं… इनकी आबादी बढ़ गई तो इन्हें अपने सहूलियत के हिसाब से क़ानून में संशोधन चाहिए,लेकिन हमारी आबादी जो घट रही हैं उसका क्या ? पेट का सवाल हैं..पेट का सवाल हैं… अरे पेट का इतना ही ख्याल रहता तो इतने बच्चे पैदा नहीं करते. साल भर में छः सात बच्चे पैदा करते हो…अगर कोई दूसरा शेर इनके बच्चों को मार देता हैं तो दूसरे बच्चे निकालने में दो दिन का भी इंतज़ार नहीं करते. और हमारा क्या हैं… हमारा बच्चा मरता हैं तो हमें दूसरे बच्चे के लिए साल भर का इंतज़ार करना पड़ता हैं. अगर आपको नंदन वन में रहना हैं तो अपनी आबादी को कंट्रोल करो… वरना मानवों के किसी सर्कस में जा के भर्ती हो जाओ,वहां आपलोगों को बना बनाया पेट भर खाना मिलेगा…… क़ानून में कोई भी संशोधन नहीं होगा. और क़यामत की धमकी किसी और को देना…आज हमनें ज़रा सी एकता क्या दिखा दी तुम्हारे तो तेरह बज गए.
छेदन शेर तमतमाते हुए – महोदया ये सिंगरा भैंसा कौन सी भाषा बोल रहा हैं… नंदन वन हमारा था,हमारा हैं,और हमारा रहेगा… हमने इस वन में जन्म लिया हैं और मरेंगे भी यहीं पे…हम किसी सर्कस-वर्कस में नहीं जाने वाले.अगर हमारी मांगे नहीं मानी गई तो सैलाब आ जायेगा नंदन वन में महोदया… सैलाब.
सिंगरा भैंसा- तो फिर मरने के लिए तैयार रहना… अब हम किसी धमकी से नहीं डरने वाले.
संसद में हो-हल्ला मच गया….एक दूसरे को मारने पे उतारू हो गए. इसी हो-हल्ले के बीच में ‘सियार होशियार पार्टी’, ‘गिद्ध स्वच्छ सेना’ ,’लकड़बग्घा यूनाइटेड’, ‘जिराफ़ हाईट्स’, ‘गज सेना’ ने एक सुर में सरकार से समर्थन वापसी की धमकी देते हुए संसद को बायकॉट कर दिया और संसद के बाहर धरने पे बैठ गए….और नारा लगाने लगे…शेरों को उनका हक़ दो..हक़ दो…Lion Act में संशोधन हो .. संशोधन हो…
भैंसों की मिली-जुली सरकार में सहयोगी पार्टियों के समर्थन वापसी की घोषणा से ज़बरदस्त हड़कंप मच गया. आनन-फानन में सरकार ने Lion Act का अमेंडमेंट संसद में प्रस्तुत किया… जो की भैंसों के तीव्र विरोध का बावज़ूद भी दो-तिहाई बहुमत से पास हो गई… जो कि इस तरह थी…
1.भैंसें जिनकी उम्र 14 साल से ऊपर हैं (नंदन वन में भैंसों की औसत उम्र 20 साल) Big Cats उनका शिकार कर सकते हैं. उससे कम उम्र का शिकार करने पे 2 महीने के लिए सर्कस में भेजा जा सकता हैं.
2. 4 महीने से छोटे आयु के बच्चों का शिकार करने पे उसे 4 महीने के लिए शिकार करने से प्रतिबंधित किया जाएगा.( उसके अन्य परिवार सदस्य को नहीं).
3. अगर भैंसों के हमलें में कोई Big Cats मारा जाता हैं तो दोषी भैंसों को मृत्युदंड दिया जाएगा और उसका मांस पीड़ित परिवार को सुपुर्द किया जाएगा.
4. भैंसें Big Cats और अन्य किसी जानवर के बीच हुए लफ़ड़े में दखलंदाज़ी नहीं कर सकते.
5. मंगरमच्छ या कोई और जानवर जिनके शिकार के लिए नदी,तालाब आदि अलोकेट किये गए हैं,वो big cats के शिकार क्षेत्र में पदक्षेप नहीं कर सकते.
6. Big cats के बीच आपसी झड़प में हुई मौतों को अपराध की श्रेणी में नहीं गिना जायेगा.
और डिस्कवरी वालों को सख्त हिदायत दी जाती हैं कि कोई भी ऐसी वीडियो मीडिया चैनल वालों को न दे और न मीडिया वाले ऐसी खबरों को प्रसारित करें जिससे अल्पसंख्यक Big Cats के ऊपर खतरा हो व हमारी सामरिक समरसता व सौहार्द को आघात पहुंचाता हो.
संसद के बाहर ज़ी-एनिमल का एक रिपोर्टर ‘भैंस बचाओ समिति’ के सांसद से – सर… आप कहना चाहेंगे सरकार के इस नए क़ानून के बारे में ?
सांसद – सरकार से हम बस इतना ही कहना चाहते हैं कि सत्ता के लोभ में खुद अपने,अपनी पूरी भैंस प्रजाति व इनके समकक्ष प्रजाति और आने वाली पीढ़ी के पैरों में कुल्हाड़ी मारा हैं. और जो इस क़ानून के समर्थन में वोट किए हैं वो आने वाले दिनों में बहुत पछताने वाले हैं.
That solve…. The end… finish..समाप्त… :) ;)
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गंगा महतो
खोपोली
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